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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कमीको जाहिर करती हैं और विरोधीके मनमें उस कामकी सचाईके बारेमें ही सन्देह पैदा कर देती है। अतएव, विनम्रता जल्दीसे-जल्दी सफलता पा लेनेका गुर है। मैं आशा करता हूँ कि हरेक असहयोगी विनम्रता और आत्म-संयमकी जरूरतको समझेगा। चूँकि हमसे यह बिलकुल ही छोटी बात अपेक्षित है और इसे कर दिखाना बिलकुल हमारे हाथकी बात है, इसीलिए मैंने यह विश्वास दिलानेकी हिम्मत की है कि एक सालसे भी कम समयमें स्वराज्य हासिल किया जा सकता है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया,१२-१-१९२१
 

११४. आन्दोलनके लिए धन कहाँसे लाया जाये

कांग्रेसके असहयोग प्रस्तावका[१] हर देशभक्तको बहुत ध्यानसे अध्ययन करना चाहिए। अगर लोग उतनी ही लगनसे काम भी करें जितने उत्साहसे उन्होंने इस प्रस्तावकी ताईद की है तो स्वराज्य एक सालके अन्दर हासिल किया जा सकता है। सिर्फ प्रतिनिधियोंने ही असहयोगको जरूरी समझा और बताया हो, ऐसी बात नहीं है; अधिवेशनमें आये हुए हजारों दर्शकोंन भी इस कार्यक्रमके बारेमें अपना पूरा समर्थन कई तरहसे जाहिर किया है।

क्रिसमस सप्ताह में[२]सिर्फ प्रस्ताव पारित कर लेने और फिर अगले क्रिसमसतक सारा साल सोते रहनेके दिन अब लद गये। जो कहते कुछ, और करते कुछ हैं, ऐसे लोगोंके लिए कांग्रेसके अधिवेशनोंमें भाग ले पाना दिनोंदिन मुश्किल होता जायेगा। सभीका यह कर्त्तव्य है कि वे सरकारी या सरकार-नियन्त्रित शिक्षण संस्थाओंमें से अपने बच्चोंको हटा लें। सभीका कर्तव्य है कि वे विदेशी चीजोंका कमसे-कम इस्तेमाल करें और सिर्फ हाथकते सूतके हाथसे बुने हुए कपड़ेको ही काममें लायें। सभीका कर्त्तव्य है कि वे तिलक स्मारक स्वराज्य-कोषमें पैसा दें। यह असहयोग आन्दोलन तो आत्म-निरीक्षणका, दिल टटोलनेका आन्दोलन है। कार्यकर्त्ताओंको चाहिए कि वे जनताको उसके कर्त्तव्यके प्रति बराबर सचेत करते रहें। इस कार्यक्रमको लागू करानेके लिए कांग्रेसके पूरे संगठनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। [कांग्रेसके] नये संविधानने कार्यकर्त्ताओंको यह मौका दिया है कि वे कार्यक्रमको तफसीलवार पूरा करनेके लिए जनताको एक सालके अन्दर-अन्दर संगठित कर सकें। अगर भारतका विशाल जन-समुदाय सजग रहकर प्रयत्न करे तो स्वराज्यकी उसकी जायज इच्छाको कोई दबा नहीं सकता। अगर हम शिक्षण संस्थाओंका राष्ट्रीयकरण और अदालतोंका बहिष्कार कर दें और अपनी जरूरतका सारा कपड़ा खुद बनाने लगें तो उसका मतलब होगा कि हमने अपना राजकाज खुद चलानेका अपना अधिकार सिद्ध कर दिया है, और तब

 
  1. देखिए परिशिष्ट १।
  2. कांग्रेसका वार्षिक अधिवेशन सामान्यत: दिसम्बरके आखिरी हफ्ते में हुआ करता था।