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११५. तार : जयरामदास दौलतरामको

१२ जनवरी, १९२१

आपका तार मिला। मैं यहाँ उन्नीसतक हूँ, उसके पश्चात् बम्बई।[१] फिल- हाल मुझे वहीं खींचनेका प्रयत्न न कीजिए।

[अंग्रेजीसे]

बॉम्बे सीक्रेट एन्स्ट्रैक्ट्स, १९२१, पृष्ठ ९९

 

११६. भाषण : गुजरात महाविद्यालयके विद्यार्थियोंके समक्ष[२]

१३ जनवरी, १९२१

मुझे उम्मीद थी कि जब मैं यात्रासे[३] वापस आऊँगा तब तुमसे मिलूँगा, तुम्हारे साथ सलाह-मशविरा करूँगा, सुख-दुःखकी बातें करूँगा और अपनी यात्राके अनुभवोंके कुछ उद्धरण तुम्हें सुनाऊँगा। उस समय मुझे खबर नहीं थी कि जो सन्देश पिछले दो दिनोंसे मैं सभी लोगोंको दे रहा हूँ, वही तुम्हें भी दूँगा। मैं आज तुम्हारे सामने जो बात रखनेवाला हूँ वह कोई नई बात नहीं है। मेरे मनमें तो वह शुरूसे ही है। मैं इसपर समय-असमय विचार करता रहा हूँ और मैंने इसपर अमल भी किया है। लेकिन मैं अपने जीवनमें अमुक वस्तुओंको दिनके उजाले-सा साफ-साफ अमुक समयपर ही देख पाता हूँ; जिस तरह रौलट अधिनियम-आन्दोलनके समय नडियादमें एक दिन[४] मुझे एकाएक यह सूझ गया कि कानूनका सविनय-भंग करनेके लिए अभी राष्ट्र तैयार नहीं है। नडियादमें मैं खुद रहा था और अपनी मान्यताके अनुरूप मैंने बड़ेसे-बड़ा काम किया था।[५] वहाँके लोग अपना आपा खो बैठे और उन्होंने एक भारी भूल कर डाली।[६] मैंने देखा कि कानूनका सविनय-भंग वही लोग कर सकते हैं जो भयवश नहीं वरन् सोच-समझकर जीवनभर कानूनको मानते आये हों।

  1. २० जनवरी १९२१ को कांग्रेसकी कार्यकारिणी समितिको बैठक बम्बईमें होनेवाली थी।
  2. गुजरात विद्यापीठका अपना कालेज; १५ नवम्बर, १९२० को अहमदाबादमें संस्थापित।
  3. १६ नवम्बर, १९२० से १० जनवरी, १९२१ तक गांधीजी यात्रापर थे।
  4. १८ अप्रैल, १९१९ को गांधीजीने आन्दोलनको अस्थायी रूपसे स्थगित करनेकी सलाह दी थी।
  5. १९१८ के ग्रीष्ममें खेड़ा सत्याग्रहके दौरान नडियाद गांधीजीका मुख्य कार्यालय था। देखिए खण्ड १४ ।
  6. १०, ११ और १२ अप्रैल १९१९ को गांधीजीके गिरफ्तार किये जानेके समाचारपर हुए उपद्रवोके दौरान; देखिए खण्ड १५ ।