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११९. बंगालके नवयुवकोंसे

मेरे नौजवान मित्रो,

आपने राष्ट्रके आहवानपर जो कुछ भी किया है, उसका विवरण मैंने अभी-अभी पढ़ा है। यह आपके लिए और बंगालके लिए भी गौरवकी बात है। मैंने इससे कमकी आपसे उम्मीद भी नहीं की थी, बल्कि मैं इससे भी ज्यादाकी उम्मीद करता हूँ। बंगाल प्रखर बुद्धि-बलसे सम्पन्न है, उसका हृदय और भी विशाल है तथा हमारा देश जिन आध्यात्मिक परम्पराओंके लिए विशेष रूपसे विख्यात है उन परम्पराओंके क्षेत्रमें भी वह अन्य प्रान्तोंसे बढ़-चढ़कर है। हिन्दुस्तानके अन्य लोगोंकी अपेक्षा आप अधिक कल्पनाशील, अधिक आस्थावान तथा अधिक संवेदनशील हैं। आपपर कायरताका जो आरोप लगाया जाता है, उसे आपने एकाधिक अवसरोंपर झूठा सिद्ध कर दिया है। इसलिए कोई कारण नहीं कि बंगाल जिस तरह पहले देशका नेतृत्व करता रहा है, वैसा ही अब भी क्यों न करे।

आपने कदम आगे बढ़ा दिया है, अब आप पीछे नहीं हटेंगे। आपको विचार करने के लिए बहुत समय मिला। आपने काफी सोच लिया है, विचार लिया है। कांग्रेसके उस अधिवेशनका[१] आयोजन आपने ही किया था जिसमें राष्ट्रको असहयोगका अर्थात् आत्मशुद्धि, आत्मत्याग, साहस और आशाका सन्देश दिया गया। नागपुर कांग्रेसने[२] उस प्रथम घोषणाकी पुष्टि की, उसका सष्टीकरण और विस्तार किया। असहयोगकी प्रथम घोषणा मतभेद, सन्देह और आपसी फूटके वातावरणमें की गई थी। लेकिन जब [नागपुरमें] वही घोषणा दुबारा की गई तो उस समय हर्ष, जयघोष और लगभग पूर्ण मतैक्यका वातावरण व्याप्त था। यह आपकी इच्छापर निर्भर करता था कि आप उसे स्वीकार करें अथवा वैसा करनेमें आगा-पीछा करें। आपने बेहतर रास्ता अपनाया, हालाँकि दुनियादारीके लिहाजसे इसे जरा कम सावधानीका रास्ता ही कहा जायेगा। अब आप अपनी आत्माको तथा इस उद्देश्यको नुकसान पहुँचाये बिना पीछे नहीं हट सकते।

वर्तमान शासन-प्रणाली और सबसे बढ़कर पाश्चात्य शिक्षाने हमें जिस व्यामोहमें डाल रखा है उसीके कारण आज हम इस सवालपर तर्क-वितर्क कर रहे हैं, अन्यथा यहाँ तर्क-वितर्ककी कोई गुंजाइश ही न थी। क्या बहादुर अरब लोगोंके लिए यह सम्भव है कि जो लोग उन्हें बन्धनमें रखना चाहते हों, उन्हींके तत्वावधानमें अपनी शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करते हुए अपनी आजादी भी कायम रख सकें? अगर कोई उन्हें यह सुझाव देनेकी हिमाकत करे कि वे अपने आकान्ताओं द्वारा स्थापित स्कूलोंमें शिक्षाके लिए जायें तो वे उस व्यक्तिका मखौल ही उड़ायेंगे। क्या हमारी स्थिति उनसे भिन्न है?

  1. कलकत्तामें सितम्बर १९२० में आयोजित कांग्रेसका विशेष अधिवेशन।
  2. दिसम्बर १९२० की।