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क्या ईसा मसीहने सहयोग किया था?

'बाइबिल' में कहा गया है,] 'शास्त्रके वचनोंका अक्षरार्थ सत्यका हनन करता है।' जो चीज सत्यपर प्रकाश डालती है, वह तो उनमें निहित भावना ही है। और वेदोंकी असली भावना है शुचिता, सत्य, निर्दोषिता, पवित्रता, विनयशीलता, सरलता, क्षमा, भक्तिमत्ता और वह सब-कुछ जो किसी पुरुष अथवा स्त्रीको उदार और बहादुर बनाता है। देशके इन महान् और मूक सेवकों, भंगियोंको कुत्तेसे भी हीन मानकर उनका तिरस्कार करने और उनपर थूकनेमें न तो कोई उदारता है और न बहादुरी। भगवान हमें भी शक्ति और समझ दे, जिससे देशके दलित वर्गोको सफाईका जो काम विवश होकर करना पड़ता है, उसे हम स्वयं स्वेच्छया कर सकें। देशमें ऐसी असंख्य बुराइयाँ हैं, जिन्हें दूर करके हम उसे स्वच्छ और निर्मल बना सकते हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १९–१–१९२१

 

१२३. क्या ईसा मसीहने सहयोग किया था?

प्रिय श्री गांधी,

श्री लायली[१] यहाँ आये थे और उन्होंने मुझे बताया कि आप उनसे मेरा कुशल-क्षेम पूछ रहे थे। इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ। मैं, निस्सन्देह, आपकी गतिविधियोंमें गहरी दिलचस्पी लेता रहा हूँ, लेकिन मुझे दुःखके साथ कहना पड़ता है कि मैं आपके असहयोग आन्दोलनसे सहमत नहीं हूँ और न हो सकता हूँ। मैं भगवानसे प्रार्थना करता रहा हूँ कि वह आपको अपनी भूल दिखाये और आपको——और हम सबको——ऐसे कार्योंमें प्रवृत्त करे जिनसे उसका पुनीत नाम उज्ज्वल हो तथा सारे हिन्दुस्तानका भी स्थायी कल्याण हो। आपके बहुत सारे लेखों और भाषणोंसे मैं इस निष्कर्षपर पहुँचा हूँ कि आप अपने आन्दोलनको इस आधारपर उचित ठहरानेकी कोशिश करते हैं कि लाख समझाने-बुझाने और मना करनेके बावजूद अगर हमारा कोई निकट और प्रिय सम्बन्धी गलत काम करता हुआ दिखाई दे तो हमारा यह कर्तव्य हो जाता है कि हम उससे किसी तरहका सम्बन्ध न रखें, क्योंकि अगर सम्बन्ध रखते हैं तो हम भी कुकर्मोंके भागी होंगे।
लेकिन निश्चय ही, ईसाइयों और हिन्दुओंके धर्मग्रन्थोंमें एक मूलभूत सिद्धान्त ऐसा है जो इससे सर्वथा भिन्न आचरणकी ओर संकेत करता है। दोनोंमें अवतारकी बात कही गई है, और यद्यपि कुछ बातोंमें इन दोनोंमें भिन्नता है, तथापि प्रत्येककी अन्तर्भूत भावना यही है कि जब भगवानने, जो स्वयं अनन्त
  1. अहमदाबाद निवासी एक ईसाई मिशनरी, जो साबरमती आश्रममें अंग्रेजी भी पढ़ाते थे।