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सन्देश : शराबबन्दीपर

अपने देशको विदेशोंकी आर्थिक दासतासे मुक्त करनेके लिए आप लोगोंमें से हरएकको कताई और बुनाईकी कला सीखनी चाहिए। इससे विदेशी कपड़ेका आयात रुक जायेगा और यह देशकी महान सेवा होगी। दूसरी बात जो मैं जोर देकर आपसे कहना चाहता हूँ वह यह है कि आप सबकी एक सामान्य भाषा होनी चाहिए; सभी भारतीयोंकी एक सामान्य भाषा होनी चाहिए ताकि वे भारतके जिस हिस्सेमें भी जायें, वहाँके लोगोंसे बातचीत कर सकें। श्री गांधीने सुझाव दिया कि इसके लिए आपको हिन्दी अथवा उर्दूको अपनाना चाहिए। उन्होंने श्रोताओंसे कहा कि आप देशके गाँव-गाँवमें हाथ-करघेसे बुनाई करनेका प्रचार करें, जिससे आप अपने देशको आर्थिक दृष्टिसे अन्य राष्ट्रोंके बीच एक ऊँचा स्थान दिला सकें।

कलकत्तेके विद्यार्थियों द्वारा कालेज छोड़नेकी बातका जिक्र करते हुए श्री गांधीने उनके इस कदमकी बड़ी प्रशंसा की और बम्बईके विद्यार्थियोंसे इस प्रेरणाप्रद दृष्टान्तका अनुकरण करनेका अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि मैं कलकत्ता जा रहा हूँ[१] और बंगालके विद्यार्थियोंके लिए आपकी ओरसे यह सन्देश ले जाना चाहता हूँ कि आप अपने बंगाली भाइयोंके साथ हैं। क्या आप मुझे ऐसा सन्देश देनेके लिए तैयार हैं? क्या आप मातृभूमिके लिए यह बलिदान करनेको तैयार हैं? मैं बम्बई छोड़नेसे पहले आज ही आपका उत्तर चाहता हूँ। अन्तमें उन्होंने भगवानसे प्रार्थना की कि वह विद्यार्थियोंको स्कूल और कालेज छोड़नेकी सद्बुद्धि दे।

[अँग्रेजीसे]
बॉम्बे कॉनिकल, २२-१-१९२१

 

१३२. सन्देश : शराबबन्दीपर[२]

[जनवरी २३, १९२१]

मुझे यह सुनकर खुशी होती है कि शराबबन्दी आन्दोलन प्रगति कर रहा है। लोग अगर इस व्यसनको छोड़ दें तो इससे हमारे असहयोग आन्दोलनमें शुचिता आयेगी और इससे स्वराज-प्राप्तिमें सहायता मिलेगी। सरकार द्वारा शराबकी दूकानोंकी नीलामीकी सूचना जल्दी ही जारी की जायेगी। किसीको नीलामीमें शामिल नहीं होना चाहिए और न लाइसेंस ही लेना चाहिए। अगर कोई लाइसेंस ले ही ले तो किसी भी व्यक्तिको शराब खरीदनेके लिए उसकी दुकानपर नहीं जाना चाहिए। इस तरह यह बुरा व्यसन हर जगहसे खत्म हो जायेगा।

आपका,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स, १९२१, पृष्ठ १२५

  1. गांधीजी २३ जनवरीको, कलकत्ता पहुँचे थे और ४ फरवरीतक वहाँ रहे थे।
  2. यह २३–१–१९२१ के सन्देशमें प्रकाशित हुआ था।