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१३४. सरकारकी[१] स्मृतिमें

सरकारको अपनी महत्ताके भानसे क्या? अंग्रेजी सरकार समाप्त हो जाये चाहे सुधरे, भारतीय सरकार तो अमर रहेगी। पटवर्धन भी सरकार थे, क्योंकि वे एक सेवक थे। पटवर्धनन किसी दिन मान और महत्ताकी आकांक्षा की हो ऐसा मैंने कभी नहीं देखा। मित्रकी कीमत उसकी मृत्युके बाद होती है। पटवर्धन अमर हैं; क्योंकि हम सब उनके गुणोंको ग्रहण करके एकसे अनेक पटवर्धन बननेके लिए कर्त्तव्यबद्ध हैं। जब वे जीवित थे, पटवर्धन एक थे, मरकर वे हमें अपने जैसा बननेके लिए कह गये हैं।

मोहनदास

[गुजरातीसे]
मधपुडो, पहला वर्ष, पौष सुदी १४, सम्वत् १९७७ [२३ जनवरी, १९२१]

 

१३५. भाषण : कलकत्तामें[२]

२३ जनवरी, १९२१

अध्यक्ष महोदय और मित्रो,

बंगालके विद्यार्थियोंने देशकी पुकारका जो शानदार उत्तर दिया है, उसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूँ। मैं जानता था कि बंगालके विद्यार्थी मेरे मित्र श्री चित्तरंजन दासके नेतृत्वकी प्रतीक्षा कर रहे थे। मैं श्री दासको यह नेतृत्व प्रदान करनेके लिए, और आप लोगोंको उस नेतृत्वका अनुसरण करनेके लिए बधाई देता हूँ। लेकिन इस तथ्यको जितनी अच्छी तरह मैं जानता हूँ उतनी ही अच्छी तरह आप लोग भी जानते हैं कि अभी तो उनका और आपका काम शुरू ही हुआ है। हम अभी प्रसवकी एक प्रक्रियामें से गुजर रहे हैं और इसलिए स्वभावतः हमें वे सारी कठिनाइयाँ, वे समस्त पीड़ाएँ सहनी पड़ रही हैं जो प्रसवके समय सहनी पड़ती हैं। आप लोगोंने कालेज खाली कर दिये हैं——लेकिन श्री दासके लिए और भारतके लिए इतना ही पर्याप्त नहीं है। यह अत्यन्त आवश्यक है कि आपने जिन कालेजों और स्कूलोंको छोड़ दिया है उनमें फिर किसी भी हालतमें वापस न जायें; और श्री दासके लिए यह जरूरी है

  1. यादवड़कर पटवर्धनका प्यारका नाम।
  2. यह सभा श्री चित्तरंजन दासकी अध्यक्षतामें मिर्जापुर पार्कमें हुई थी। २ फरवरी, १९२१ के यंग इंडियामें इसे "विद्यार्थियोंकी बृहत् सभा" कहा गया है, लेकिन २५–१–१९२१ की अमृत बाजार पत्रिका और २४-१-१९२१ के हिन्दूमें इसे सार्वजनिक सभा कहा गया है; इसमें मुख्यतः विद्यार्थी ही शामिल थे।