पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/३१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२८४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


मैं ये बातें इसलिए कह रहा हूँ कि वर्तमान आन्दोलनको बदनाम करनेके लिए इस पुस्तिकामें से इधर काफी उद्धरण दिये जा रहे हैं।[१] मैंने ऐसे भी लेख देखे हैं जिनमें यह कहा गया है कि मैं कोई गहरी चाल चल रहा हूँ, भारतपर अपनी सनक व खामखपालियाँ थोपनेके लिए मौजूदा अशान्तिका लाभ उठा रहा हूँ और भारतको नुकसान पहुँचाकर धार्मिक प्रयोग और परीक्षण कर रहा हूँ। इस सबके जवाबमें मैं तो सिर्फ इतना ही कह सकता हूँ कि सत्याग्रह एक बहुत ही ठोस और खरी वस्तु है। उसमें छिपाने और गुप्त-जैसा कुछ भी नहीं होता। जीवनके जिस पूरे सिद्धान्तका 'हिन्द स्वराज्य' में वर्णन किया गया है, उसके एक अंशपर आज केवल आचरण किया जा रहा है। अगर समूचेपर आचरण किया जाये तो उससे भी कोई खतरा नहीं है। ऐसी सूरतमें मेरे लेखोंसे ऐसे अंश उद्धृत करके, जिनका देशके मौजूदा मसलेसे कोई भी ताल्लुक नहीं, लोगोंको डराना उचित नहीं है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २६–१–१९२१

 

१३९. पत्र : लेवेटसको

१४८, रसा रोड
[कलकत्ता]
२६ जनवरी, १९२१

प्रिय श्री लेवेटस,

आपने सरकारकी विनिमय नीतिपर कांग्रेसके प्रस्तावकी[२] व्याख्याके बारेमें जिज्ञासा की है; मेरे विचारसे इसकी आड़ लेकर किसीको अपने उत्तरदायित्वसे बचनेका अधिकार नहीं है। हाँ, इसमें कोई सन्देह नहीं कि प्रस्तावमें व्यापारियों आदिसे कहा गया है कि अगर वे अपने ठेके वगैरह विनिमयकी वर्त्तमान दरपर पूरा करनेसे इनकार कर देंगे तो प्रस्तावकी प्रस्तावनामें बताये गये कारणोंके आधारपर वह उचित ही होगा। लेकिन जो लोग बिलोंकी मीयाद पूरी हो जानेपर पैसे नहीं चुका पाये हों, वे इस प्रस्तावकी बिनापर सामान्य ढंगसे ऐसे बिलोंके पैसे चुकानेसे इनकार नहीं कर सकते। आप कहते हैं, यह प्रस्ताव असहयोगकी नीतिके पीछे जो नैतिक सिद्धान्त है, उनके खिलाफ है। लेकिन मैं आपको बता चुका हूँ कि अगर प्रस्तावनामें कही गई बातें सही हैं तो मेरे विचारसे इस मामलेमें कहीं भी नैतिकताका त्याग नहीं किया गया है। आप देखेंगे कि कांग्रेसने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीको इस प्रस्तावपर अमल कराने के लिए एक समिति नियुक्त करनेका आदेश दिया है। मेरी सलाह है कि आप पूरा मामला तैयार करके समितिके सामने पेश कर दीजिए। मैं मानता हूँ कि अगर

  1. उदाहरणार्थ लॉर्ड रोनाल्डशेका लेख; देखिए "टिप्पणियाँ", ८–१२–१९२० ।
  2. यह प्रस्ताव १९२० की नागपुर कांग्रेसमें पास किया गया था।