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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तुम्हारे अध्ययनका कार्यक्रम जाननेके लिए उत्सुक हूँ।

बापूके आशीर्बाद

गुजराती पत्र (जी० एन० २०५५) की फोटो-नकलसे।

५. तार : शिवप्रसाद गुप्तको[१]

[२० नवम्बर, १९२० के आसपास][२]

मिलबीयजीका[३] स्वास्थ्य कैसा है? यदि उनके स्वास्थ्यको नुकसान पहुँचनेका अन्देशा है तो फिर में बनारस नहीं आना चाहूँगा।[४] दिल्ली तार दीजिए।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७३१०) की फोटो-तकलसे।

६. तार: मोतीलाल नेहरूको

[२० नवम्बर, १९२० के आसपास][५]

सुना है मालवीयजी बीमार है और यदि मैं गया तो स्वास्थ्य और बिगड़ने की सम्भावना है। कृपया उनके स्वास्थ्यकी खबर तारसे दिल्ली दीजिए।

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७३१०) की फोटो-नकलसे।

  1. (१८८३-१९४४); काशीके प्रसिद्ध देशभक्त, मातृभाषा-प्रेमी और दानवीर; राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक ‘आज’ और राष्ट्रीय शिक्षा-संस्था काशी विद्यापीठके संस्थापक; काशीके सुप्रसिद्ध भारत-माता मन्दिरके निर्माता।
  2. महादेव देसाईकी डायरी में ‘काशीमें’ शीर्षकके अन्तर्गत २६ नवम्बर, १९२० के विवरणसे यह स्पष्ट है कि यह तार तथा बाद वाले दो तार नवम्बर १९२० में भेजे गये थे। गांधीजी १९ नवम्बरको बम्बईसे झांसीके लिए रवाना हुए थे और २१ नवम्बरको दिल्ली में थे। २४ नवम्बरको वे दिल्लीसे बनारसके लिए चल पड़े और २५, २६ व २७ नवम्बरको पण्डित मदनमोहन मालवीयके साथ रहे। इसलिए अनुमानतः ये तीनों तार २० नवम्बरके आसपास भेजे गये थे।
  3. पण्डित मदनमोहन मालवीय (१८६१-१९४६); बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक; शाही विधानप-परिषद् के सदस्य; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके दो बार अध्यक्ष।
  4. गांधीजी पण्डित मालवीयजीसे मिलनेके लिए बनारस जाना चाहते थे क्योंकि असहयोग आन्दोलनके प्रति उनकी प्रतिक्रिया पूरी तरह अनुकूल नहीं थी।
  5. देखिए पिछले शीर्षककी पाद टिप्पणी २।