पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/३३

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७. तार: मदनमोहन मालवीयको

[२० नवम्बर, १९२० के आसपास][१]

आना चाहता यदि आप राजी तो २४को बनारस आना चाहता हूँ। कृपया दिल्ली तार दीजिये।

गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७३१०) की फोटो-तकलसे।

८. भाषण: झाँसीमें

२० नवम्बर, १९२०

श्री गांधी .. ने रोशनी और सजावटकी[२]निन्दा करते हुए भाषण आरम्भ किया। उन्होंने कहा कि जबतक खिलाफतका सवाल[३] हल नहीं होता, पंजाबमें किये गये अत्याचारोंका[४] इन्साफ नहीं किया जाता और स्वराज्य नहीं हासिल हो जाता तबतक किसीको भी खुशियोंमें शामिल नहीं होना चाहिए। हमारे उद्देश्य केवल हिन्दू-मुस्लिम एकता और हिंसा रहित असहयोगसे ही पूरे हो सकते हैं। तलवारें नहीं निकाली जानी चाहिए। इसके बाद उन्होंने असहयोग कार्यक्रमके विविध अंगोंपर बल दिया और कहा कि किसको भी सेनामें भरती नहीं होना चाहिए। इसके बाद उन्होंने सरस्वती पाठशालाके लिए चंदेकी अपील की। उन्होंने बताया कि यह पाठशाला एक शुद्ध राष्ट्रीय संस्था है।

[अंग्रेजीसे]

लीडर, २४-११-१९२०

  1. >देखिए “तार: शिवप्रसाद गुप्तको”, २०-११-१९२० की बाद टिप्पणी २।
  2. झांसी शहर और खासतौरसे हार्डीगंजको, जहाँ यह भाषण हुआ था, गांधीजीका स्वागत करनेके लिए बहुत अच्छी तरहसे सजाया गया था और खूब रोशनी को गई थी। गांधीजीके साथ मौलाना शौकत अली भी थे।
  3. खिलाफत आन्दोलनका उद्देश्य टर्कीके सुलतानको, खलीफा होनेके नाते मुसलिम दुनियामें वही प्रतिष्ठा और अधिकार दिलाना था जो उन्हें प्रथम विश्व-युद्धके पूर्व प्राप्त थे।
  4. जलियांवाला बागका हत्याकांड और १९१९ में पंजाबमें किये गये अन्य अत्याचार; देखिए खण्ड १७, पृष्ठ १२८-३२२।