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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


अब वहाँकी शिक्षा सवालको लें। यहाँ अब चारों ओर ऐसी जागृति फैल गई है कि आपने जो नाम दिये हैं उनमें से किसीको भेज सकता सम्भव नहीं है। बर्मी जनताको मेरी सलाह है कि वह प्राचीन प्रणालीको नयी भावनासे अपनाये। उसे इस समय पश्चिमी शिक्षाके बारेमें विवार करनेकी आवश्यकता नहीं है। यदि वहाँ हाथकताईकी कोई परम्परा रही हो तो उसे पुनरुज्जीवित किया जाये, या आप किसी बर्मी उद्योगकी खोज करें जो कृषिका पूरक हो और पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करनेतक उस विलुप्त उद्योगको पुनः प्रतिष्ठित करें। विद्यार्थी यह जान लें कि स्वराज्य शिक्षा प्राप्त करनेसे नहीं मिलता बल्कि वह अपने जीवनमें उन गुणोंको प्रदर्शित करनेसे मिलता है जो स्वराज्यके लिए आवश्यक हैं। वे गुण हैं——निष्कपटता, सच्चाई, साहस, एकता, भ्रातृत्व तथा आत्मत्याग। यदि उनमें ये गुण हैं तो वे गाँवोंमें जाकर वहाँ इन्हें फैलायें। वे गाँववालोंको सिखायें कि अंग्रेज यहाँ बर्मी लोगोंकी भलाईके लिए नहीं, बल्कि अपना भौतिक स्वार्थ साधने के लिए आये हैं। इसलिए विदेशी गुलामीसे मुक्त हो जानेतक वे अपनी साहित्यिक तालीमको स्थगित कर दें। यदि मैं वहीं आया तो मैं उनसे ये ही बातें कहूँगा कि उन्हें अंग्रेजी भाषाके आकर्षणसे अपनेको मुक्त कर देना चाहिए। यह आज निश्चित रूपमें राष्ट्रीय विकासमें रोड़े अटकाती है।

[अंग्रेजीसे]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।
सौजन्य : नारायण देसाई

 

१४७. भाषण : कलकत्तामें स्नातकोत्तर छात्रों और कानूनके विद्यार्थियोंकी सभामें

२९ जनवरी, १९२१

इस सभामें मेरे इतने विलम्बसे आनेका एकमात्र कारण रुपयों और ज़ेवरोंका यह ढेर है जो मुझे आपकी मारवाड़ी बहनोंने आपके लिए दिया है। मुझे अभी-अभी उनके सामने बोलनेका सुअवतर मिला था। मुझे उससे प्रसन्नता भी हुई। उन्होंने——जिन्हें संस्कृति-विहीन मारवाड़ी महिलाएँ कहा जाता है——मेरे भाषणके उत्तरमें बहुत शानदार काम कर दिखाया है। मेरा खयाल है कि यह राशि, नकद रुपये और जेवर मिलाकर, १० हजारसे कम नहीं है। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि आज ही तीसरे पहर हमें अपनी बहनोंसे और भी रुपया मिलनेकी आशा है। इसलिए मैं मौके-बेमौके यह कहता रहता हूँ कि मुझे एक वर्षके भीतर स्वराज्य मिलनेकी आशा है। क्या आपको मेरी इस बातपर आश्चर्य होता है? यदि धन, जन और अन्य सभी प्रकारकी जो मदद हमें मिल रही है वैसो ही मिलती रहे तो जिनके मनमें इस विषयमें जरा भी विश्वास नहीं है, वे भी मेरी ही तरह सोचने लगेंगे। मैं आप