पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/३२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३००
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


मैं चाहता हूँ कि आप इस प्रश्नपर साहसपूर्वक और उचित रूपसे विचार करें। आपको स्कूलों और कॉलेजोंको छोड़नेके लिए इसलिए नहीं कहा गया है कि यह शिक्षाप्रणाली खराब है, वह खराब तो है ही——तथापि यह इसलिए कहा जा रहा है कि ये संस्थाएँ उस सरकारकी अधीनतामें चल रही हैं जिन्हें मैं और आप यदि सुधार नहीं सकते तो नष्ट कर देना चाहते हैं। यदि आप इस प्रश्नपर इस दृष्टिसे सोचें तो फिर आप अपने भविष्यके बारेमें आगे कोई प्रश्न करेंगे ही नहीं। आप ज्यों ही स्वराज्यकी खातिर इन संस्थाओंको छोड़ेंगे त्यों ही आपका भविष्य सुरक्षित और सुनिश्चित हो जायेगा। आपका भविष्य इन संस्थाओंपर नहीं, बल्कि स्वयं अपने आपपर निर्भर है। कांग्रेसके प्रस्तावमें आपको और मुझे यही पाठ पढ़ाया गया है। कांग्रेस पिछले ३५ वर्षोंमें अपने सब प्रस्तावोंमें सरकार ही से आवेदन-निवेदन करती रही है। किन्तु उसने अब अपना रास्ता बदल दिया है। कांग्रेसने अब राष्ट्रसे आत्म-निरीक्षण करनेके लिए कहा है। उसने हमें अपना ही निरीक्षण करनेको कहा है। अब उसने प्रस्तावमें सरकारसे नहीं, बल्कि राष्ट्रसे अपनी बात कही है। उसकी प्रार्थना आपसे है, कलकत्तेके छात्रोंसे है, और अपनी युवावस्थाको पार कर चुकनेवाले मुझ-जैसे बूढ़े आदमी है। कांग्रेसने अपने प्रस्तावोंमें और अपनी प्रार्थनामें अपना निवेदन भारतके असंस्कृत लोगोंसे, भारतके खेतोंमें रहनेवाले लोगोंसे, कारीगरोंसे और उन लोगोंसे किया है जिन्हें हम भारतका निरक्षर जनसाधारण कहते हैं। आज दोपहरको आपके सामने जो प्रश्न उपस्थित है वह यह है : आप, स्नातकोत्तर वर्गोंके छात्र, क्या करेंगे? इस महान राष्ट्रीय उथल-पुथलमें आपका योगदान क्या होगा? आप केवल खड़े-खड़े देखेंगे ही या कुछ काम भी करेंगे? क्या आप इस घमासान लड़ाईमें कूदेंगे और विजयी होकर यश प्राप्त करेंगे? मुझे आशा है कि आप तत्काल सही और पक्का निर्णय लेंगे और फिर मैं आशा करता हूँ कि एक बार फैसला कर लेनेपर आप पीछे नहीं हटेंगे। इस सभाभवनमें[१] इकट्ठा छात्रोंसे मैं कहता हूँ : आप अपनी पुस्तकोंको जला दीजिए। इस समय पढ़ने-लिखनेसे कुछ वास्ता न रखिए; बल्कि मैं कहता हूँ, आप स्वराज्यके सेवक बनिये, उसकी खातिर लकड़ियाँ काटिए और पानी खींचिए। मैं आपमें से प्रत्येक छात्रसे चरखा चलानेको कहता हूँ। आप देखेंगे कि चरखा आपको जो सन्देश देगा वह सच्चा सन्देश होगा।

चरखेका सन्देश यह है : जो कोई मेरा आश्रय लेगा, मुझे चलायेगा वह स्वराज्यको नजदीक लायेगा। चरखेका सन्देश यह है कि भारतका प्रत्येक पुरुष, स्त्री और बच्चा एक साल या ८ महीने मुझे चलाये; मैं उसे बदलेमें स्वराज्य भेंट करूँगा। मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप चरखके इस सन्देशको ग्रहण करें। उसे खरीदनेमें ७ या ८ रुपयेसे ज्यादा नहीं लगते। मुझे उस दिन श्री दासने कहा था कि चरखेके बारेमें एक बंगला गीत है और जिसमें कुछ इस तरहकी बात कही गई है: चरखा आपको सब-कुछ देता है; वह आपकी कामधेनु है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि चरखा

 
  1. स्टार थियेटर।