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कुछ प्रश्न

चलानेवाले लोगोंसे यदि आप पूछें तो वे आपसे यही कहेंगे, "हाँ, चरखा हमारे लिए कामधेनु ही है।"

आज दोपहरको जो स्त्रियाँ मेरे पास आई थीं उन्होंने मुझसे एक सन्देश माँगा। जब मैं आप लोगोंके लिए घूम-घूमकर उनसे चन्दा माँग रहा था तब उन्होंने मुझसे एक सन्देश माँगा और मैंने उन्हें निःसंकोच होकर यह सन्देश दिया : "चरखा चलाइये। आत्मशुद्धि कीजिए और देशके लिए आत्म-त्याग कीजिए।" आप लोगोंके लिए भी मेरा यही विनम्र सन्देश है। आप इन गुलामोंसे भरी संस्थाओंमें से बाहर निकलें, आत्मशुद्धि करें और चरखा चलाएँ। यदि आप ऐसा करेंगे तो मैं आपको वचन देता हूँ कि आपको एक वर्षके अन्दर ही स्वराज्य मिल जायेगा।

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, ३०–१–१९२१

 

१४८. सन्देश : पंजाब छात्र-सभाके अध्यक्षको[१]

३० जनवरी, १९२१

कृपया पंजाबके छात्रोंको बतायें कि हमें उनके द्वारा तत्काल विद्यालय छोड़[२] देनेकी देशकी अपीलपर उत्साहके साथ एकमत होकर अमल किया जानेका विश्वास है। अपमानित पंजाब तथा प्रताड़ित इस्लामके सम्मान तथा गौरव के अनुकूल केवल यही प्रतिक्रिया हो सकती है।

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, १–२–१९२१

 

१४९. कुछ प्रश्न

अनेक पत्रलेखकोंको अपने पत्रोंके साथ पूरा न्याय न हो सकनेके कारण निराशा होती होगी। 'नवजीवन' के पाठक जानते हैं कि 'नवजीवन' में प्रकाशित सामग्री काफी सोच-विचार कर ही छापी जाती है। इसलिए जब 'नवजीवन' में जगह बचती है, हम तभी प्राप्त-पत्रोंका उपयोग कर पाते हैं। अक्तूबर महीनेमें लिखे दो पत्र मेरे पास पड़े हैं। इसके बाद अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैं और कदाचित् इन पत्रोंके लेखकोंको उनमें अपने प्रश्नोंके उत्तर मिल गये होंगे तथापि उनके प्रश्नोंको

  1. गांधीजी, चित्तरंजन दास तथा मौलाना मुहम्मद अलीने गुजरांवालाकी पंजाब छात्र-सभाके अध्यक्ष डा॰ सैफुद्दीन किचलूको यह सन्देश भेजा था। उक्त सभाने ३० जनवरी, १९२१ को असहयोग आन्दोलनपर पास किये गये कांग्रेसके प्रस्तावका स्वागत करते हुए एक प्रस्ताव पास किया था।
  2. सरकारी तथा सरकारसे सहायता प्राप्त करनेवाली शैक्षणिक संस्थाओंको।