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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैंने निरर्थक नहीं समझा है यह बात सिद्ध करनेके लिए मैं यहाँ उनके प्रश्नोंका उत्तर देनेका प्रयत्न करता हूँ।

प्रयोगमें सरल, किन्तु प्रभावमें प्रचंड

एक भाई सूरत से लिखते हैं:

स॰ : आपका कहना है कि अगर आपको और अली भाइयोंको गिरफ्तार किया गया अथवा दण्ड दिया गया तो लोगोंको शान्त रहना चाहिए। यदि वे ऐसा नहीं करेंगे तो असहकारको धक्का पहुँचेगा। यह बात मेरी समझ में नहीं आती। आपके एकमात्र सहयोगी नेहरू[१] ही हैं। सोचिए, अगर उन्हें भी कोई पकड़ ले तो फिर आपके कामको कौन अपने माथे लेगा?

मेरी सलाह उचित ही है। असहकारकी चाबी शान्ति हैं। यदि शान्ति भंग हो तो असहकारीका बल भी टूट जाये क्योंकि शान्तिभंग करनेके अन्तर्गत सरकार लोगों पर जुल्म ढायेगी और जुल्मसे घबराकर लोग दब जायेंगे। असहकार आतंकके बीच भयका त्याग करनेकी तालीम है। हम अभी भयभीत हैं। हम भयरहित हो जायें तो कोई जुल्म नहीं कर सकेगा। असहकारमें अकेले नेहरूजी मेरे साथ हैं, अब ऐसा कहना उचित नहीं होगा। और वैसे सच पूछा जाये तो विजय तभी मिल सकती है जब सभी असहयोगी नेताओंकी गिरफ्तारीके बाद भी असहयोग जारी रहे। असहकारमें जनताको अपनी शक्तिका प्रयोग करनेकी शिक्षा मिलती है और जब वह अपने बलपर टिकनेकी शक्ति पा जाती है तभी वह स्वराज्य अर्थात् प्रजासत्तात्मक राज्यका उपभोग कर पाती है। हमें सरकारको न तो मदद देनी चाहिए और न उससे मदद लेनी ही चाहिए। यह कोई ऐसी बड़ी बात नहीं है जिसके लिए नेताओंकी आवश्यकता पड़े। असहयोग रामबाण होनेपर भी ऐसा अस्त्र है जिसे एक बच्चा भी चला सकता है। प्रयोगमें हल्का और परिणाममें प्रचंड, ऐसा है यह हथियार।

आज एक कदम ही काफी

स॰ : कल्पना कीजिए कि स्वराज्य मिल गया, तो आप बादमें फिर खिलाफतके प्रश्नका निपटारा किस तरह करना चाहेंगे; क्या यूरोपीयोंसे युद्ध करेंगे? हम तो निःशस्त्र हैं।

यदि खिलाफतके प्रश्नका सन्तोषजनक हल निकले बिना हमें स्वराज्य मिल जाता है तो हम इंग्लैडसे बिलकुल अलग हो जायेंगे। आज सरकार खिलाफतको दबा रही है सो केवल हमारी ही मददसे और हमें दबानेकी खातिर। जब उसका हिन्दुस्थानपर अधिकार ख़तम हो जायेगा तब उसे मेसोपोटामिया अथवा इस्तम्बूलकी आवश्यकता भी नहीं रह जायेगी। पर आवश्यकता रहे अथवा न रहे, यदि तब हमने अपने सिपाहियोंको बाहरके देशोंसे वापस बुला लिया तो सरकार मेसोपोटामियामें

  1. पंडित मोतीलाल नेहरू जिन्होंने वकालतके अपने शाही धन्धेको छोड़ दिया था और असहयोग आन्दोलनके एक प्रमुख नेता बन गये थे।