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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हूँ। तब मुझे कोई हिला नहीं सकता। इसीसे मुझपर तानाशाह होनेका आरोप लगाया गया है और इसे मैं सहन कर रहा हूँ। स्वयं आत्माकी आवाजको ही माननेकी बात कहते हुए, तर्कके द्वारा दूसरोंको अपनेसे सहमत करानेका अधिकार सबको होता है। हमारी आत्माको सोनेकी आदत पड़ गई है। उसे समय-समयपर जागृत करना पड़ता है; इसीका नाम पुरुषार्थ है। एक दूसरेकी जंजीरोंको तोड़नेमें सहायता करना ही सेवा है।

जिसे जनताका समर्थन, उसे कांग्रेसका समर्थन

स॰ : आपने कांग्रेसका अधिवेशन होनेसे पहले कहा कि 'मुझे कांग्रेसकी कोई दरकार नहीं', तो फिर आप "कांग्रेस मैन" होनेका दावा किसलिए करते हैं?

कांग्रेसकी मुझे कोई दरकार नहीं, ऐसा धृष्ट वाक्य मैंने कभी अपने मुँहसे नहीं निकाला। उसी तरह मैंने 'कांग्रेस मैन' होने का दावा भी नहीं किया। कांग्रेस एक महान् संस्था है। उसका मैं पुजारी हूँ। बचपनसे ही मैंने उसे आदरकी दृष्टिसे देखा है, इसी कारण मैंने हर बार उसमें हाजिरी देनेका प्रयत्न किया है। लेकिन कांग्रेसके प्रस्तावको मैं वेदवाक्य नहीं मानता। जहाँ उसके प्रस्ताव मेरे निजी धर्मके विरुद्ध जान पड़े हैं वहाँ उनका विरोध करनेकी छूट मैंने हमेशा ली है और वह छूट सबको होनी चाहिए, ऐसा मैंने माना है। यह सब करनेके बावजूद कोई भी व्यक्ति कांग्रेसका भक्त हो सकता है।

नवीन राज्यतन्त्रको मैं नहीं, जनता चलायेगी

स॰ : कांग्रेसने यदि इस प्रस्तावको[१] पास न किया होता तो क्या आपके आन्दोलनको एक प्रतिशत भी सफलता मिल सकती थी? पिछली बीस शताब्दियोंमें असहयोगसे बड़ी अधिक विचारणीय कोई चीज हमारे सामने नहीं आई। जब हमें अमृतसमान 'मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार' मिले हैं तो फिर क्या एक तानाशाहकी तरह सारे हिन्दुस्तानको उलटे मार्गपर ले जाना उचित है? मालवीयजी-जैसे लोगोंका कहना है कि गांधीजीको तो अक्ल गुम हो गई है और वे हिन्दुस्तानको गलत रास्तेपर ले जा रहे हैं।

इस सवालमें मुझे बहुत गलतफहमी दिखाई देती है। कांग्रेस जनमतको व्यक्त करनेवाला मुख-यन्त्र है। जब जनता किसी अमुक वस्तुको स्वीकार कर लेती है तब वह अच्छी हो या खराब लेकिन कांग्रेस उसे स्वीकार कर लेती है। अब अगर सुधारक ऐसे कुछ नवीन सुधारोंको दाखिल करना चाहें जो लोगोंको प्रिय न लगें और फिर वह उन्हें कांग्रेससे पास न करवा सकें तो यह कोई आश्चर्यकी बात नहीं। कांग्रेसका प्रस्ताव पास होनेसे पहले ही असहयोग आन्दोलन जोरोंपर था और इसी कारण कांग्रेसने उसका स्वागत किया था। मेरे तो ऐसे अनेक विचार हैं जिन्हें मैं कांग्रेससे पास नहीं करवा सकता क्योंकि मैं जनतासे अबतक उनका मूल्यांकन

  1. असहयोग सम्बन्धी प्रस्ताव।