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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दूसरी किताबसे मुझे नहीं मिली। मेरा खयाल है वह हर तरहकी आलोचना और छानबीनके बाद साहित्यिक सौन्दर्य, अलंकार और धार्मिक प्रेरणा——सभी दृष्टियोंसे खरी उतरेगी।

मुझे यह भी आशा है कि जब मैं वापस आऊँगा तबतक आप सूत कातनेमें पर्याप्त उन्नति कर चुकेंगे और उस सूतको अपने उपयोगके लिए गाँवके किसी जुलाहेसे बुनवाने भी लगेंगे। सूत कातनेमें तो आश्चर्यजनक उन्नतिका आप पर्याप्त प्रमाण दे ही सकेंगे और मैं आशा करता हूँ कि यदि आप श्रद्धापूर्वक और भारतके भविष्यको ध्यानमें रखकर सूत कातेंगे तो आपको सूत कातनेमें वही रस और वैसा ही मानसिक सुख मिलेगा जैसा मुझे मिलता है। मैं यह भी आशा करता हूँ कि आपके उपाध्याय और अध्यापक बंगलामें भाषण देंगे और आपने सरकारी संस्थाओंमें जो ज्ञान प्राप्त किया है उस सबको आप अपने लिए बंगलामें अनुवादित कर लेंगे और आपने अंग्रेजीके कवियों और अंग्रेजीके साहित्यसे जो उच्च विचार प्राप्त किये हैं उन्हें व्यक्त करनेके लिए आप अपनी मातृभाषापर योग्य अधिकार प्राप्त कर सकेंगे।

मैं यह भी आशा करता हूँ कि आप अपना कार्य अत्यन्त निष्ठापूर्वक करेंगे। यदि हम अपने आन्दोलनको एक धार्मिक आन्दोलन नहीं मानते तो मैं आपके सम्मुख स्पष्ट रूपसे स्वीकार करता हूँ कि यह आन्दोलन सफल नहीं होगा; यही नहीं, बल्कि इससे हमारी और आपकी अपकीर्ति भी होगी। यह अपने आपको काममें लगानेका एक नया तरीका है और यदि हम यह सोचते हैं कि हम अपने पुराने तरीकोंमें कोई छोटे-मोटे परिवर्तन करके भारतकी समस्याओंको हल कर सकते हैं तो हमारे हाथ निराशा ही लगेगी। यदि आप इस कार्यको उसी धार्मिक उत्साहसे करेंगे जिसके लिए बंगाल प्रख्यात है तो मैं मानता हूँ कि स्वराज्य बहुत निकट आ जायेगा। ईश्वर आपकी सहायता करे, ईश्वर उपाध्यायोंकी सहायता करे और आपको वह बल दे जिसकी हमारे मित्र श्री चित्तरंजन दासको जरूरत है। मुझे इस संस्थाका उद्घाटन करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ९–२–१९२१