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भाषण : पटनामें अहिंसापर

बिहारमें स्थापित किया गया है फिर भी वह राष्ट्रके लिए कार्य करेगा। जब छोटी-छोटी लड़कियोंने मेरे पास आकर मुझे अपने जेवर दिये तब मुझे तो रोना ही आ गया——यद्यपि मैंने अपने आँसू पी लिये, क्योंकि हमें इस समय किसी प्रकारकी भी कमजोरी नहीं दिखानी है। मैं आशा करता हूँ कि आप भी अपना हृदय ऐसा ही पवित्र बनायेंगे जैसा कि इन लड़कियोंका है। मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि हमारा यह राष्ट्रीय विश्वविद्यालय उन्नति करे और जिन लोगोंने इसके लिए प्रयत्न किया है वह उन लोगोंके उत्साहपूर्ण परिश्रमके स्थायी स्मारकके रूपमें कायम रहे। उन्होंने धनकी अपील करनेके बाद अपना भाषण समाप्त किया।

[अंग्रेजीसे]
सर्चलाइट, ९–२–१९२१

 

१६४. भाषण : पटनामें अहिंसापर[१]

६ फरवरी, १९२१

इसके बाद कानोंको बहरा करनेवाली तालियोंकी गड़गड़ाहटके बीच महात्मा गांधी बोलनेके लिए उठे। उन्होंने कहा कि मैं आपका बहुत समय लेना नहीं चाहता। मौलाना मुहम्मद अलीके भाषणके बाद मेरे लिए कहने योग्य कुछ नहीं बचा है। उन्होंने जो-कुछ कहा है वह ठीक है और अच्छा है। मेरा मार्ग अहिंसाका मार्ग है। मैं उस व्यक्तिको भी मारना नहीं चाहता जो मुझे अपना शत्रु मानता है। मेरे भाई मौलाना मुहम्मद अली इससे विरुद्ध सिद्धान्तोंमें विश्वास रखते हैं। लेकिन इस मतभेदके बावजूद हम दोनों सगे भाइयोंकी तरह रह रहे हैं। हम तीनों (मौलाना शौकत अली सहित) जहाँ भी जाते हैं, जिस ओर भी मुड़ते हैं, अहिंसाका ही प्रचार करते हैं। यदि हम अहिंसाका पालन न करेंगे तो हम निश्चय ही असफल होंगे। हममें तलवारसे लड़नेकी शक्ति नहीं रही है। मुझे विश्वास है कि हम केवल अहिंसासे ही स्वराज्य, अर्थात् रामराज्य या धर्मराज्य प्राप्त कर सकेंगे। गांधीजीने गाली-गलौज करने, डराने-धमकाने और हाट लूटने-जैसी हरकतोंकी तीव्र निन्दा की और कहा : यदि हमें स्वराज्य मिलनेमें देर हो रही है तो इसका कारण यही है कि हमने अहिंसाका पाठ भली-भाँति नहीं सीखा।

श्री मुहम्मद अलीने श्री हसन इमान और अपने एक पुराने यूरोपीय प्राध्यापकसे जो अनुरोध किया है वह उचित है। वे उन्हें समझा-बुझाकर और प्रेमसे अपने पक्षमें सम्मिलित करना चाहते हैं और उनका विश्वास है कि वे जल्दी ही उनके साथ हो जायेंगे। उन्होंने गाँवोंमें उत्पन्न जागृतिकी चर्चा करते हुए कहा कि गाँवोंके लोगोंमें जो

  1. मदरसा-मसजिदके मैदानमें दोपहर को हुई सार्वजनिक सभामें।