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राष्ट्रीय तिलक स्मारक स्वराज्य कोष

आप स्वराज्य चाहते हों तो वह नहीं हो सकता। स्वराज्य कोई साधारण सौदा नहीं है। स्वराज्यके अमूल्य रत्नकी प्राप्तिके लिए हमें जबर्दस्त बलिदान करना पड़ेगा। आजतक मैंने जब कभी अपील की है महिलाओंने खुले दिलसे दान दिया है। मुझे खेद है कि गुजराँवालाकी महिलाओंने कंजूसी दिखाई है। आपने तो लाला लाजपतरायको 'शेरे पंजाब' माना है; कोई भी शेर घास-पातके तिनकोंसे सन्तुष्ट नहीं हो सकता।

आप सबको भाई-भाईकी तरह स्नेहपूर्वक रहना है। गौओं, गुरुद्वारों, मन्दिरों, मस्जिदोंकी रक्षाके लिए हिंसाका सहारा नहीं लेना। यदि आप इनकी रक्षा करना चाहते हैं तो अपने प्राण त्याग कर ऐसा करें। यदि आप स्वराज्य चाहते हैं तो आपके सामने सीधा रास्ता है। हमें न तो किसीसे छल-कपट करना है और न ही किसीसे धोखा खाना है।

अन्तमें गांधीजीने कहा: मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि वह आपको बल दे और निर्भय बनाये। आप स्वयं मरनेको तैयार रहेंगे पर दूसरोंको मारेंगे नहीं। आप सरकारसे कुछ सरोकार नहीं रखेंगे। श्री शास्त्री और बाबू सुरेन्द्रनाथ बनर्जी-जैसे आदरणीय नेताओंके भाषणके दौरान कभी 'शर्म शर्म' न कहेंगे और न शोरगुल करेंगे। ये सब हमारे पूज्य हैं। उनके विरुद्ध कुछ कहना या शोरगुल करना हिंसा करना है। हमें पश्चिमी सभ्यताके रास्ते न जाकर अपनी प्राचीन परम्पराका ही अनु- सरण करना है और उसके पुरातन गौरवको बनाये रखना है।

[अंग्रेजीसे]
ट्रिब्यून', २२-२-१९२१

 

१८५. राष्ट्रीय तिलक स्मारक स्वराज्य कोष

लोकमान्य तिलक महाराजकी स्मृति बनाये रखना जनताका कर्त्तव्य है। इस स्मृतिको स्वराज्यकी प्रवृत्तिके साथ जोड़नेका विचार पुण्य विचार है। उनकी स्मृतिरक्षाके लिए प्राप्त चन्देका उपयोग स्वराज्य हासिल करनेमें हो, यह उचित ही है। इस तरह पैसा देनेमें लोगोंके दो स्वार्थ हैं। लोकमान्यकी स्मृतिको बनाये रखनेमें हमारा स्वार्थ है और स्वराज्य प्राप्त करनेमें तो हमारा स्वार्थ स्पष्ट ही है।

कांग्रेसकी कार्यकारी समितिने निश्चय किया है कि प्रत्येक प्रान्तकी समितिको यह चन्दा इकट्ठा करना होगा। उसका तीन-चौथाई भाग उसी प्रान्तको असहयोगकी प्रवृत्तिमें खर्च होगा और एक-चौथाई कांग्रेसकी अखिल भारतीय समितिको जायेगा।

यह चन्दा कोई वर्षोंतक चलनेवाला नहीं है। मास-दो-मासमें पूरा हो जाना चाहिए।

उसमें बालक, वृद्ध, स्त्री, पुरुष सबको यथाशक्ति दान देना चाहिए। हिन्दू, मुसलमान, पारसी, ईसाई, यहूदी, जो-जो लोग अपने आपको हिन्दुस्तानी समझते हैं उन्हें इसमें पूरा-पूरा योग देना चाहिए।