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१९३. स्वराज्यकी शर्तें

यदि कुछ सरल-सी शर्तें पूरी की जा सकें तो स्वराज्य आगामी अक्तूबरसे पहले सरलतासे प्राप्त किया जा सकता है। पिछले सितम्बर माहमें मैंने एक सालमें स्वराज्य प्राप्त होनेकी बात कहनेकी हिम्मत की थी, क्योंकि मैं जानता था कि शर्तें बहुत ही सरल हैं। मुझे यह भी लगा था कि देशका वातावरण अनुकूल है। पिछले पाँच महीनोंके अनुभवने मेरे इस मतको पुष्ट किया है। मुझे विश्वास हो गया है कि देश स्वराज्यकी स्थापनाके लिए इतना तैयार कभी नहीं रहा, जितना आज है।

लेकिन शर्तोंको यथासम्भव सही-सही जानना हमारे लिए आवश्यक है। एक सबसे बड़ी और अपरिहार्य शर्त है अहिंसाको बरकरार रखना। अभी हालमें हमने जो उपद्रव, हुल्लड़बाजी, लूटपाट वगैरह देखे, वे विचलित करनेवाली चीजें हैं। ये खतरेके सूचक हैं। हमें उनकी बढ़तीको रोक सकना चाहिए। आतंकवादके रहते हुए एक सालके अन्दर लोकतन्त्रकी भावना नहीं लाई जा सकती——चाहे वह आतंकवाद सरकारका हो, या जनताका। कुछ दृष्टियोंसे जनताका आतंकवाद लोकतन्त्रात्मक भावनाके विकासमें सरकारके आतंकवादकी अपेक्षा अधिक बाधक होता है। कारण, सरकारका आतंकवाद लोकतन्त्रकी भावनाको मजबूत बनाता है, जब कि जनताका आतंकवाद उसे नष्ट कर देता है। डायरवादने स्वातन्त्र्यकी उत्कंठाको जैसा जगाया है वैसा अन्य किसी चीजने नहीं। किन्तु आन्तरिक डायरवाद चूँकि बहुमतका आतंकवाद होगा, इसलिए वह ऐसे अल्पतन्त्रकी स्थापना करेगा जो स्वतन्त्र विचार-विमर्श तथा स्वतन्त्र आचरणकी भावनाका गला ही घोंट देगा। अतः द्रुत सफलताके लिए सरकारके प्रति भी और पारस्परिक व्यवहारमें भी, अहिंसा नितान्त आवश्यक है। हमें कोई कितना भी छेड़े, हमारा आचरण अहिंसापूर्ण ही हो, हमें ऐसा उपाय करना चाहिए।

दूसरी शर्त है, नये संविधानके[१] अनुसार कांग्रेसका संगठन करनेकी हमारी योग्यता। इस संविधानका उद्देश्य प्रत्येक गाँवमें उचित निर्वाचक-मण्डलकी सहायताके साथ कांग्रेसकी इकाइयाँ स्थापित करना है। इसके लिए पैसा और कांग्रेसकी विभिन्न नीतियोंको कार्यान्वित करनेकी योग्यता, दोनों चाहिए। सचमुच आवश्यकता कोई बड़े त्यागकी नहीं, वरन् संगठन करने तथा मिलजुल कर साधारण काम करनेकी योग्यताकी है। अभी तो हम अपने देशके साढ़े सात लाख गांवोंके प्रत्येक घरमें कांग्रेसका सन्देश पहुँचानेमें भी सफल नहीं हुए हैं। यह काम करनेके लिए हमें २५० जिलोंके लिए इतने ही ईमानदार कार्यकर्ता चाहिए, जिनका अपने-अपने जिलेमें प्रभाव हो और जो कांग्रेसके कार्यक्रममें विश्वास रखते हों। किसी भी गाँव, अथवा मण्डलका अपने संगठनकी स्थापना करनेके लिए, मुख्यालयसे आदेश प्राप्त करनेके लिए ठहरना आवश्यक नहीं है।

  1. देखिए पृष्ठ १९४-२०२ ।