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क्या ईसाने असहयोग किया था?


क्या हमारे पास इस बहुत ही साधारण कार्यक्रमको पूरा करनेके लिए ईमानदार, लगनशील, उद्योगी और देशभक्त कार्यकर्त्ता हैं? यदि हैं, तो आगामी अक्तूबरसे पहले ही भारतमें स्वराज्य स्थापित हो जायेगा।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २३-२-१९२१

 

१९४. क्या ईसाने असहयोग किया था?[१]

पाठक शायद मेरी इस बातसे सहमत होंगे कि रेवरेंड गिलिस्पीने[२] अपने कमजोर पक्षको और भी कमजोरकर लिया है। मुझे विश्वास है कि असहयोगी भी केवल उन्हीं शर्तोंपर सहयोग करनेको तैयार होगा जिनकी चर्चा वे "बाइबिल" की कहानीवाले "पथभ्रष्ट पुत्र" के सम्बन्धमें करते हैं। अगर 'बाइबिल'की कहानीके उस लड़केके समान सरकार भी ठीक रास्तेपर वापस लौट आये तो सभी असहयोगी बहुत हर्ष मनायेंगे। यदि मनोनीत नये वाइसरायका[३] इरादा सचमुच नेक होगा तो असहयोगियोंसे वे जितनी भी सहायताकी आशा रखते होंगे, उन्हें मिलेगी। अस्पृश्यताके सम्बन्धमें रेवरेंड गिलिस्पीकी बात काफी हदतक ठीक है। अस्पृश्यतासे चिपका रहनेवाला कोई भी व्यक्ति इस सरकारकी निन्दा करनेका कोई हक नहीं रखता। न्यायपूर्ण समताके व्यवहारकी माँग करनेवाले प्रत्येक व्यक्तिको स्वयं सर्वथा निर्दोष होना चाहिए, यह सिद्धान्त सर्वत्र लागू होता है। रेवरेंड गिलिस्पी देखें कि अस्पृश्यताको बनाये रखनेके हामी भारतीय निश्चय ही सरकारसे सहयोग करनेवाले लोगोंकी पंक्तिमें ही हैं। असहयोगका तो मतलब ही मनुष्यमें आन्तरिक सुधार करना है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २३-२-१९२१

 
  1. इस लेखमें गांधीजीने रेवरेंड गिलिस्पीके उस पत्रकी टीका की है जो उन्होंने २२ जनवरी, १९२१ को राजकोटसे भेजा था। उक्त पत्र यहाँ उद्धृत नहीं किया जा रहा है।
  2. रेवरेंड गिलिस्पीने अपने पत्रमें कहा था : "यद्यपि हमें ऐसे पुत्रपर, जो पाप और निर्लज्जताके जीवनसे अपनेको अपमानित करता है, अनुग्रह नहीं करना चाहिए तथापि स्नेहपूर्ण करुणा तथा प्रार्थनापूर्ण आत्मिक शक्तिके साथ प्रतीक्षा करते हुए उस दुष्कर्मी पुत्रके साथ सहयोग करना चाहिए——और इसे ही सच्चा सहयोग कहते हैं——और जब वह लौटे तब खुले दिलसे उसका स्वागत करना चाहिए।"
  3. लॉर्ड रीडिंग, जिन्होंने अप्रैल १९२१ में शासन-भार सँभाला था।