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१९६. भाषण : लखनऊकी खिलाफत सभामें

२६ फरवरी, १९२१

कल खिलाफत सभामें गांधीजीने उर्दूमें बोलते हुए कहा कि अक्तूबरतक, शेष ७ महीनोंमें वे खिलाफत प्रश्नका निबटारा कर लेंगे तथा स्वराज्य प्राप्त कर लेंगे। वे तलवार तो नहीं खींच सकते, किन्तु स्वराज्य प्राप्त कर लेनेपर तलवार खींचनेकी शक्ति उत्पन्न कर सकते हैं। पहले वाइसराय उनपर हँसा करते थे, किन्तु अब वे उनके साथ सहयोग करना चाहते हैं।[१] गांधीजीने लोगोंको ब्रिटिश मालका बहिष्कार करने तथा विदेशी कपड़ेको त्यागनेकी सलाह दी और बताया कि इसके जरिये वे दूसरे ही दिन स्वराज्य प्राप्त कर सकते हैं।[२]

[भाषण जारी रखते हुए उन्होंने कहा :] वकीलों और विद्यार्थियोंके सम्बन्धमें हमें जो-कुछ करना जरूरी था उतना हम कर चुके। उस दिशामें अब कोई विशेष प्रयत्न करनेकी जरूरत नहीं रही। हम अपनी आवाज जहाँतक पहुँचा सके हैं, उससे मैं सन्तुष्ट हूँ। जिन्हें हम अपनी बात माननके लिए राजी नहीं कर सके हैं, वे अपनी इच्छासे सहयोग करना चाहें तो करें। वकालत करनेवाले वकीलों और सरकारी विद्यालयोंमें जानेवाले विद्यार्थियोंकी कोई प्रतिष्ठा नहीं रही। उनमें से अधिकांश स्वयं स्वीकार करते हैं कि वे गलत काम कर रहे हैं। हमारे लिए यही काफी है। वकीलों तथा सरकारी स्कूलोंमें पढ़ाई जारी रखनेवाले छात्रोंने जिस हदतक अपनी प्रतिष्ठा खो दी है, उसी हृदतक सरकारकी प्रतिष्ठा भी कम हो गयी है।[३]

[अंग्रेजी और गुजरातीसे]
अमृतबाजार पत्रिका, २-३-१९२१
नवजीवन, १७-४-१९२१

 
  1. यह उल्लेख अनुमानत: वाइसरायके उस भाषणका है जो उन्होंने खिलाफतके प्रश्नपर दिया था, देखिए परिशिष्ट २ ।
  2. यह अनुच्छेद अमृतबाजार पत्रिकासे लिया गया है।
  3. यह अनुच्छेद नवजीवनकी गुजराती रिपोर्टसे लिया गया है।