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भाषण : ननकाना साहबमें


तीसरी सम्भावना यह है कि महन्त उनका अन्त करनेके लिए पूर्णतया लैस है, इतना मालूम होनेपर भी यह दल पूजा करने आया और यद्यपि वह अपनी रक्षा कर सकता था फिर भी उसने अपने आपको बलि होने दिया।

कुछ भी हो यह घटना इतिहासमें सदाके लिए अंकित हो गई है।

मैं आशा करता हूँ कि आप बहादुरीका टीका सिर्फ सिखोंके माथे नहीं लगायेंगे वरन् इसे राष्ट्रकी बहादुरीका एक नमूना मानेंगे। ये शहीद सिर्फ अपने पंथकी रक्षाके लिए नहीं वरन् सभी धर्मोको दूषित होनेसे बचानेके लिए बलि हुए हैं।

हम और आप भारतकी सन्तान हैं; हमें उसीके लिए जीना और मरना है। मैंने अपना जीवन खिलाफतके काममें समर्पित कर दिया है क्योंकि उसके माने हैं मेरे अपने पंथ और देशकी रक्षा। मैं अपने आपको सनातनी हिन्दू मानता हूँ और मैं अपने पड़ोसियोंके साथ भी शांतिपूर्वक रहना चाहता हूँ। यह काम मैं उनकी सेवा करके ही कर सकता हूँ। दूसरोंकी हत्या करके अपने देश या धर्मकी रक्षा करनेकी मुझे कोई इच्छा नहीं है। यदि ईश्वर मुझे इन दोनोंमें से किसीके लिए भी प्राण उत्सर्ग करनेके योग्य पायेगा तो मैं जानता हूँ कि वह मुझे दोषी नहीं मानेगा।

मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप ये मानें कि ये लोग भारत माताकी रक्षाके लिए शहीद हुए हैं और इस बातपर विश्वास करें कि खालसा केवल स्वतन्त्र भारतमें ही स्वतन्त्र रह सकता है। यह नहीं हो सकता कि आप भारतको गुलामीके बन्धनमें बाँधे और फिर भी अपने लिए स्वतन्त्रताकी कामना करें; यद्यपि विजयकी इस घड़ीमें इतने बड़े प्रलोभनसे अपनेको बचाना कठिन ही है। यह सरकार आपकी सहायताके बलपर भारतको गुलामीकी जंजीरोंमें बाँधनेमें सर्वथा समर्थ है। पर ऐसा कहकर वर्तमान गवर्नर या किसी अन्य अधिकारीपर मैं कोई आक्षेप नहीं कर रहा हूँ। यदि मुझे विश्वास होता कि इसमें उनका हाथ है तो मैं निःसंकोच ऐसा कह देता। पर इस समय तो मैं सिर्फ सरकारके स्वभावकी ही बात कर रहा हूँ। हमपर अपना अधिकार बनाये रखनेके लिए सरकारने हिन्दुओं और मुसलमानोंमें फूट डालनेमें तनिक संकोच नहीं किया। और वे आपके तथा बाकी देशके बीच भी फूट डालनेमें पूर्णतया समर्थ हैं। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप यथाशक्ति इस प्रलोभनसे बचें और सारे देशके साथ मिलकर इस सरकारके पैशाचिक शासनका अन्त करें।

अभी एक मित्रने कहा है कि सिख कष्ट-सहनकी इस परीक्षामें उत्तीर्ण हुए हैं। मैं उनसे सहमत नहीं हूँ और आपको यह बता देना चाहता हूँ कि आपकी परीक्षा तो अब शुरू हुई है। इस नवोपार्जित शक्तिका आप क्या उपयोग करेंगे? इसी मित्रने मेरा ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया है कि फरसा और कृपाण आपकी वेश-भूषाका अंग है। उन्हें वैसा ही रहने दें। हो सकता है कि कभी उनके उपयोगका अवसर आये, पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अभी वह समय नहीं आया है। सभी राष्ट्रीय संस्थाओंने वर्तमान स्थितिमें अहिंसाकी आवश्यकताको स्वीकार किया है। इसलिए आप सावधान रहें कि आपकी कृपा म्यानसे बाहर न निकलें और फिर आपसमें संघर्ष न छिड़े। यदि हम इन शहीदोंके देशवासी होनेके योग्य हैं तो हम उनसे