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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

विनम्रता और कष्ट-सहनका पाठ सीखें; और आप अपनी अद्वितीय वीरता देशकी सेवा और उसके उद्वारमें लगा दें।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १६-३-१९२१

 

२०३. सन्देश : ननकाना साहबकी दुःखद घटनापर सिखोंको

४ मार्च, १९२१

प्रिय मित्रो,

कल मैं ननकाना साहबकी तीर्थयात्रा करके आ गया हूँ। अब मैं अपने सिख मित्रोंसे दो शब्द कहना चाहूँगा। आप लोगोंके एक सबसे बड़े मन्दिरमें कत्लेआमके जो प्रमाण मैंने देखे तथा मुझे उसकी जो कहानियाँ सुनाई गई, उन्हें मैं कभी भूल नहीं सकता।

इस बातमें कोई सन्देह नहीं मालूम पड़ता कि उस मनहूस दिन, रविवार, २० फरवरीको अकाली दलके लगभग १५० व्यक्तियोंको छलपूर्वक कत्ल कर दिया गया, तथा उनकी लाशोंको काटकर फेंक दिया गया; और स्पष्ट ही इन मारे जानेवाले अकालियोंके हाथों हत्यारोंमें से किसीको कोई चोट नहीं पहुँची। यह असंदिग्ध है कि एक अकालीको तो मन्दिरके अहातेमें एक पेड़से बाँध कर शायद उसे जिन्दा ही जला दिया गया। इस बातमें तो और भी कम सन्देहकी गुँजाइश है कि बहुत-सी लाशोंको पैराफिनमें भिगोकर शायद इस तथ्यको छिपानेके खयालसे जला दिया गया कि सभी मरनेवाले एक ही पक्षके लोग थे। लगता है मन्दिरमें जानेवाले अकालियोंमें से एक भी उस निर्मम हत्याकाण्डकी कहानी कहनेके लिए बचकर बाहर नहीं आ सका।

मन्दिर एक किले-जैसा बना दिया गया है। गर्भगृहके चारों ओरके कमरोंकी बीचकी दीवारोंमें भी छेद बने हुए हैं, जिनसे गोलियाँ दागी या सकती हैं। कमरोंके बीचकी दीवारोंमें भी छेद हैं, जो कमरोंको एक दूसरेसे जोड़ते हैं। मुख्य द्वारके कपाटोंमें इस्पातकी भारी चादरें लगी हुई हैं जो स्पष्टतः हालमें बनी हुई हैं। 'ग्रन्थ साहब' तकपर गोलियोंके निशान हैं। इस गर्भगृहकी दीवारों तथा स्तम्भोंका भी यही हाल है। लगता है, अकालीदलके लोगोंको छलपूर्वक अन्दर आने दिया गया, और तब फाटक बन्द कर दिये गये। वहाँ मैंने जो-कुछ देखा, जो- कुछ सुना, वह डायरवादकी ही पुनरावृत्ति था; लेकिन उसका रूप जलियाँवालाके डायरवादसे भी अधिक बर्बरतापूर्ण और पैशाचिक था, और कहीं अधिक योजनापूर्वक किया गया था। कहते हैं कि एक बार ननकानामें एक नागने निरीह और भोलेभाले श्री गुरु महाराजपर[१] छाया करनेके लिए सरल भावसे अपना फन फैला दिया था। इसी ननकानामें उस मनहूस रविवारको आदमी शैतान बन गया।

  1. गुरु नानक।