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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मान लें, या फिर इस प्रश्नको स्वराज्य प्राप्त हो जानतक स्थगित रखा जाये। यदि आप चाहते हैं कि ननकानाकी शहादत सफल हो, तो यह निहायत जरूरी है कि आप आदर्श आत्मसंयमसे काम लें तथा अकाली दल द्वारा गुरुद्वारोंपर कब्जा लेनेके आन्दोलनको स्थगित कर दें।

आपका विश्वस्त मित्र,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १६-३-१९२१

 

२०४. पत्र : वर्माको

मुलतान, ५ मार्च, [१९२१][१]

प्रिय श्री वर्मा,

आपका पत्र मेरी यात्रामें मेरे पीछे-पीछे चक्कर काटता हुआ यहाँ मिला।

युवकोंमें जो उच्छृंखलताकी प्रवृत्ति आ रही है, उसे रोकनेके लिए मैं जितना कुछ कर सकता हूँ, कर रहा हूँ। आशा है कि उनके उत्साहका यह अशोभनीय अतिरेक ठंडा पड़ जायेगा और स्थिति सामान्य तथा सही रूप धारण कर लेगी। क्या हम सभी आज संक्रमण-कालमें ही नहीं है? शायद हम उनके कार्योंके गुणदोषोंको समझने या उनका सही-सही मूल्यांकन करनेमें असमर्थ हैं। फिर भी काशीमें जैसे अशोभनीय दृश्य[२] देखनमें आये वैसे दृश्य फिर न उपस्थित हों, इसके लिए मैं थोड़ा-बहुत जो-कुछ कर सकता हूँ, मुझे अवश्य करना चाहिए। मैं इस मामलेमें पंडित जवाहलाल नेहरू ध्यान देनेके लिए कह रहा हूँ।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (एस॰ एन॰ ७९७८) की फोटो-नकलसे।

 
  1. सन् १९२१ में कई बार गांधीजीने अपने लेखों और पत्रोंमें छात्रोंके उपद्रवोंका उल्लेख किया है। वे ५ मार्च, १९२१ को मुलतानमें थे।
  2. यहाँ गांधीजीने कदाचित् कुछ समय पहलेकी एक घटनाका उल्लेख किया है जिसमें बनारसमें छात्रोंने पण्डित मदनमोहन मालवीयके प्रति अशिष्ट व्यवहार किया था।