पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/४५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४२७
पत्र : शि॰ गु॰ प्र॰ स॰ के सदस्योंको


१७. हरएक घरमें चरखा दाखिल करना और दूसरे कामोंसे जितना समय बचे वह सब स्त्री-पुरुष सूत कातनेमें दें। लड़के-लड़कियोंको भी सूत कातनेमें लगाना। कमसे कम चार घंटा रोज सूत कातनेमें दिया जाये।

१८. परदेशी कपड़ेका त्याग कर अपने काते हुए सूतमें से जुलाहेके मारफत कपड़े बनवाकर पहनना।

१९. अपने झगड़ोंका फैसला अदालतोंसे नहीं करना परन्तु पंचकी मारफत तय करना।

याद रखना कि सबसे बड़ी बात यह है कि हम गुस्सेको रोकें और मारपीट न करें। कोई हमें मारे तो उस मारकी परवाह न करना।

मोहनदास करमचन्द गांधी

आज, २४-२-१९२१

 

२१४. पत्र : शि॰ गु॰ प्र॰ स॰ के सदस्योंको[१]

अम्बाला
९ मार्च, १९२१

खालसाजी,

आपका तार और वह प्रस्ताव भी मिला जिसमें ननकाना काण्डकी जाँच सरकार जिस तरहसे कर रही है उसकी निन्दा की गई है। उस जाँचमें अविश्वास प्रकट किया गया है, और एक गैर-सरकारी जाँच समिति नियुक्त की गई है। प्रस्ताव मैंने पढ़ लिया है। प्रस्ताव द्वारा मुझे समितिका अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस प्रकार मेरा जो सम्मान किया गया है मैं उसकी कद्र करता हूँ, किन्तु मुझे भय है कि मैं तबतक समिति और सिख समाजकी कोई उपयोगी सेवा नहीं कर सकता जबतक समितिको नियुक्तिका उद्देश्य सरकारी जाँचके सम्भावित दुष्प्रभावोंकी काट करना मात्र है। 'सिख लीग' और अन्य राष्ट्रीय संस्थाओंने असहयोगका जो प्रस्ताव पास किया है, उसमें वस्तुतः सरकार द्वारा की जानेवाली जाँचमें भाग लेने या सहायता देनका निषेध किया गया है। इसलिए मैं तो सोचता था कि आप असहयोगके आधारपर ही उस जाँचसे अलग रहेंगे, चाहे फिर जाँचका उद्देश्य अस्थायी या आंशिक तौरपर कुछ खास बातोंमें थोड़ी राहत देना ही क्यों न हो। आपने जाँचमें जो अविश्वास प्रकट किया है, वह मेरी दृष्टिमें उस सरकारसे सहयोग करनेकी निरर्थकताका एक और उदाहरण है जिसको, यदि वह अपने तौर-तरीके नहीं सुधारती तो हम नष्ट करनेकी फिक्रमें हैं। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आप अपने प्रस्तावपर फिरसे विचार

  1. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक समिति।