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पुरानी कहानी


मॉरिशसकी डाक

मॉरिशससे श्री बुद्धन नामक एक बैरिस्टरने, जो अभी वकालत कर रहे हैं, मुझे एक तार भेजा है। वह इस प्रकार है:

मॉरिशसके भारतीयोंका अनुरोध है नये प्रवासी लानेके प्रयत्नमें हस्तक्षेप करें।मॉरिशसके गवर्नर सीलोन जा रहे हैं जिसके सम्बन्धमें वाइसरायके पास विरोध-पत्र भेज दिया गया है।

मैं केवल जनताका ध्यान इस धृष्टताकी ओर आकर्षित करना चाहूँगा तथा उससे आग्रह करूंगा कि वह स्वराज्य-प्राप्तिके लिए दुगुना प्रयत्न करे। यहाँ प्रवासियोंका अर्थ केवल गिरमिटके अधीन या प्रलोभन आदि देकर ले जाये गये प्रवासियोंसे ही हो सकता है। गिरमिटिया प्रवासी ले जानेकी बात तो लगभग अवैध होगी, और मैं इस सम्भावना की कल्पना भी नहीं कर सकता कि वाइसराय फिर गिरमिटिया प्रवासी ले जानेकी बातसे सहमत होंगे । और दूसरी बातमें शरारतकी सम्भावना है, क्योंकि उसी हालत में प्रवासियोंको स्वतन्त्रताका सब्जबाग दिखाकर ले जाया जायेगा। किन्तु में आशा करता हूँ कि मद्रास और संयुक्त प्रान्तके श्रमिक वर्गके बीच काम करनेवाले लोग मजदूरोंको उन प्रलोभनोंके विरुद्ध आगाह कर देंगे, जो उन्हें दिये जा सकते हैं; यानी यदि सरकार मूर्खतापूर्वक तथाकथित पुनः प्रवासके लिए फिरसे भरती शुरू करे तो वे उसके विरुद्ध उन्हें आगाह कर देंगे।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, १६-३-१९२१

२१९. पुरानी कहानी

किसी भी महान् आन्दोलनके दौरान सनसनीखेज खबरें फैलाना एक आम बात हो जाती है। कहते हैं, लाहौरमें एक अखबारी पोस्टरमें बड़े मोटे-मोटे अक्षरोंमें यह खबर छापी गई है कि मैंने 'नवजीवन' [ के अमुक अंक ] में कहा है कि इस वर्ष स्वराज्य प्राप्त नहीं होगा, क्योंकि इस वर्ष श्री शास्त्रियर तथा परांजपेका अपमान किया गया है। मैंने 'नवजीवन' का वह अंक देखा, और उसमें मुझे ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे ऐसा निष्कर्ष निकाला जा सकता हो । “स्वराज्य देरसे मिलेगा "[१], इस शीर्षकके अन्तर्गत मैंने बम्बईमें श्री शास्त्रियरकी सभाओंमें श्रोताओंके आचरणकी कड़ी आलोचना की है, और कहा है कि ऐसा आचरण अवश्य ही हमारी प्रगतिके मार्ग में बाधक सिद्ध होगा। उसी लेखमें मैंने यह भी समझाया है कि यदि हुल्लडबाजीके ऐसे प्रदर्शन न हों तो हमें स्वराज्य प्राप्त करनेमें एक वर्ष भी नहीं लगे। मेरे विश्वासके बारेमें किसीको चिन्ता नहीं होनी चाहिए। मैं चाहता हूँ कि लोग मेरे विश्वासोंके बारेमें सोचना बन्द कर दें,

 
  1. १. १३-२-१९२१ का ।