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अखिल भारतीय तिलक स्वराज्य कोष

वे इतने वर्षोंसे और इतनी हृदयहीनताके साथ चलाते आ रहे हैं। जो चीज हमारी प्रगतिके मार्ग में बाधक हो रही है वह हमारा यही विश्वास है कि हम असहाय हैं । यह आश्चयंकी बात है कि हम आज भी बन्धनमें हैं। स्वाभाविक यह होगा कि हम आजसे ही अपने आपको स्वतन्त्र अनुभव करें।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १६-३-१९२१




२२०. अखिल भारतीय तिलक स्वराज्य कोष

तिलक स्मारकका संगठन एक बड़े व्यवस्थित ढंगसे करनेकी दृष्टिसे पंजाब प्रथम स्थान पानेका अधिकारी है। नई समितियाँ अबतक सुचारुरूपसे काम करने की स्थितिमें हो गई होंगी और हमें समूचे देशमें कोष संग्रह करनेवाले लोग नियुक्त कर देने चाहिए। पंजाबमें कांग्रेस समितिने एक रुपयेकी रसीदें निकाली हैं, और इस तरह यह आशा की है कि जो दे सकते हैं, वे एक रुपये से कम नहीं देंगे। पहले एक स्मारक सप्ताह मनानेकी घोषणा की गई, जिसे बादमें बढ़ाकर एक पखवाड़ेका आयोजन कर दिया गया, और विश्वस्त स्वयंसेवक कोष-संग्रहके लिए घूमने लगे। उन्होंने उस प्रान्त में एक लाखसे अधिक रुपये जमा कर लिये हैं। समितिन अपने योगदानके रूपमें २५,००० रुपये अखिल भारतीय कांग्रेस समितिको भेज भी दिये हैं।

मेरी रायमें, शेष प्रान्त भी पंजाबके इस समुचित उदाहरणका अनुसरण करें तो उससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। जितनी रकम हमें जमा करनी है सो पहले से निश्चित कर लेना जरूरी है। पूरे भारतकी ओरसे एक करोड़ रुपया देना लोकमान्य जैसे महान् देशभक्तकी स्मृतिके प्रति अत्यन्त साधारण सम्मान प्रदर्शित करना है। जब हम उस उद्देश्यकी बात सोचते हैं, जिसके साथ इस हुतात्माकी स्मृति जुड़ी है तो यह रकम बहुत मामूली जान पड़ती है। स्वराज्यकी प्राप्तिके लिए एक करोड़ रुपये देना बहुत नहीं है। और यहाँ इस बातकी ओर भी ध्यान दिलाया जा सकता है, कि यह पैसा विदेशोंमें अथवा अन्य प्रकारके प्रचार कार्य में नहीं वरन् कताई, बुनाई तथा अन्य शैक्षणिक कार्योंमें खर्च किया जायेगा। यह पैसा हमारे बच्चोंके शिक्षणपर खर्च किया जायेगा। धन-संग्रहका कार्य इक्कीस प्रान्तोंमें करना है, और सारा काम आगामी ३० जूनतक समाप्त कर दिया जाना चाहिए। प्रत्येक प्रान्तसे औसतन लगभग ५ लाख रुपये जमा करनेकी आशा की जायेगी। किन्तु बम्बई, गुजरात, बंगाल, पंजाब तथा ऐसे ही अन्य प्रान्तोंसे अपेक्षाकी जा सकती है कि वे, उड़ीसा अथवा आन्ध्र-जैसे प्रान्तोंसे अधिक संग्रह करेंगे।

कार्यकारिणी समितिने यह व्यवस्था करके कि प्रत्येक प्रान्त अपनी संग्रह की हुई राशिका ७५ प्रतिशत प्रान्तीय खर्चके लिए अपने पास ही रख ले, काम और भी सरल बना दिया है। अतः ऐसी आशाकी जाती है कि इस महान् स्मारककी