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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

शान्तिपूर्ण ढंगसे आगे बढ़ते रहे जिस प्रकार पिछले पांच महीनोंमें बढ़े हैं, तो आगामी सात महीनोंके अन्दर आपको स्वराज्य मिल जायेगा। जरूरत केवल इस बातकी है कि आप सुसंगठित और शान्तिपूर्ण ढंगसे बढ़ते रहें। आपको विद्यार्थियोंको बाहर निकल आनेके लिए प्रेरित करनेकी दृष्टिसे स्कूलों और कालेजोंके दरवाजोंपर नहीं जाना चाहिए; बल्कि आपको चाहिए कि सभीको असहयोगके सत्यकी प्रतीति करायें।

स्वदेशी और बहिष्कारके बारेमें में आपसे यह कहना चाहूंगा कि अभी आप देशसे विदेशी मालका पूर्ण बहिष्कार नहीं कर सकते। आपको उन्हीं विदेशी चीजोंका बहि- ष्कार करना है जो आप देशमें पैदा कर सकते हैं। उन चीजोंमें कपड़ा मुख्य है। यदि आप कपड़ा बुन सकते हैं तो आप आसानीसे विदेशी कपड़ेका बहिष्कार कर सकते हैं। इस सम्बन्धमें आपको यह बता देना भी मेरा फ़र्ज है कि फिलहाल भारतीय मिलोंका बहिष्कार करना भी ठीक नहीं है, क्योंकि यदि आप ऐसा करेंगे तो देश और भी गरीब हो जायेगा। परन्तु आपको यह ध्यान जरूर रखना है कि मिलें अपना काम ठीकसे करती रहें। मिलोंको केवल "पूँजीपतियों" के लिए काम नहीं करना चाहिए, बल्कि जनताके हितके लिए भी काम करना चाहिए। आपको अब अपनी खादीका मूल्य बढ़ानेकी कोशिश करनी चाहिए। आप लंकाशायरको यह महसूस करा दें कि उसके बिना भी हमारा काम चल सकता है। परन्तु मेरे कहनेका यह तात्पर्य नहीं कि तत्काल लंकाशायरका बहिष्कार कर दिया जाये, क्योंकि मैं जानता हूँ कि ऐसा करनेसे जापान- को मौका मिल जायेगा ।

भाषण समाप्त करते हुए श्री गांधीने कहा, ६ अप्रैल[१] आपके लिए एक कड़ी कसौटीका, गहरे आत्म-निरीक्षणका दिन होगा। उस दिन आपकी परीक्षा होगी कि आप सच्चे दिलसे स्वराज्य चाहते हैं या नहीं। मैं उस दिन महान् महात्मा तिलककी स्मृतिमें एक करोड़ रुपये चाहता हूँ। निश्चय ही मैं यह रुपये अपने बच्चोंके लिए या लोकमान्य तिलकके बच्चोंके लिए नहीं चाहता, वरन् आपके लिए और आपके बच्चोंके लिए चाहता हूँ। मैं जानता हूँ कि आपमें बहुतेरे लोग कहेंगे कि मुद्रा बाजार...[२] और मन्दीके कारण आपका व्यापार ठीकसे नहीं चल रहा है। मैं जानता हूँ कि कुछ अन्य लोग कहेंगे कि वे तंगदस्त हैं और उन्हें बेटियोंके विवाह करने हैं। परन्तु कहूँगा कि लोग आसानीसे वह रकम तो दे ही सकते हैं जो वे धूम्रपानपर खर्च करते हैं। ढेर सारे गहने दिये बिना केवल खादी पहनाकर ही बेटियोंका विवाह सम्पन्न किया जा सकता है। भारतके स्त्री-पुरुषों को अपने पापोंका कुछ प्रायश्चित्त तो अवश्य करना चाहिए।

[ अंग्रेजी से ]

बॉम्बे क्रॉनिकल, १७-३-१९२१


 
  1. १. सत्याग्रह सप्ताहका पहला दिन ।
  2. २. यहाँ कुछ शब्द छूट गये हैं ।