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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करते हैं, अभी हाल हीमें एक अंग्रेज गार्डने हमला किया; उससे उन्हें चोट भी लगी। इसपर भाई अस्वातने उसे धक्का मारा । सरकारके कानूनके मुताबिक उन्हें वैसा कर- नेका पूरा हक था। सरकारी कानून ऐसा है कि अपनी रक्षा करने में पूरे बलका इस्ते- माल करना कोई अपराध नहीं है। सरकारका कानून ऐसा है, लेकिन कांग्रेस और लीगका कानून दूसरा ही है। इसलिए भाई अस्वातन पश्चात्ताप किया। स्वयं बाहर निकलकर उक्त गार्डको लोगोंके क्रोधसे बचाया। आपके हाथों नागपुरमें बहुत गलत काम हुआ है। कोई भी कारण क्यों न हो, आप लोगोंके हाथ पत्थर मारनेके लिए नहीं उठने चाहिए। कोई शराब पीनेका हठ करे तब भी जोर-जबरदस्ती करके हम उसे शराब छोड़ने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। हमें स्वराज्य चाहिए। स्वराज्यका अर्थ है कि कोई व्यक्ति अपराध करे तो भी उसपर मनमानी जोर-जबरदस्ती नहीं की जा सकती। एक भाईके शवको दफनाने में रुकावट डाली गई, यह भी गलत बात हुई। इससे हमारे आन्दोलनको नुकसान पहुँचा है, हमारे सम्मानको धक्का लगा है।

अगर कोई व्यक्ति शराब पीने अथवा ऐसी ही किसी दूसरी अनिष्ट हठपर अड़ा रहे तो भी उसके साथ कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की जानी चाहिए। यदि हम ऐसा करें तो हम कांग्रेस और लीगके प्रति अपराध करते हैं। गत सितम्बरमें[१] अगर आप अपने लिए भिन्न रास्ता निश्चित करना चाहते तो कर सकते थे। लेकिन आपने तो अपना संघर्ष शान्तिसे चलाने की प्रतिज्ञा की है। उससे अब आप पीछे नहीं हट सकते। हम शान्तिका दावा करके अशान्तिका व्यवहार नहीं कर सकते। हमारी लड़ा- ईकी खबरें सारी दुनियामें फैल गई हैं। हम अपनी यह लड़ाई शान्तिसे लड़ रहे हैं, इस बातकी तारीफ हो रही है। यदि हम शान्तिका नाम लेकर अशान्तिका व्यवहार करेंगे तो अपनी कमाई खो बैठेंगे। हमारे हाथों जो गलत काम हुआ है उसका हमें पश्चात्ताप करना चाहिए | सारी दुनिया देख रही है कि पिछले पचास वर्षोंमें हिन्दु- स्तानके लोगों में जो ताकत नहीं आई, वह इन पांच महीनोंमें आ गई है। सरकारने छोटानी[२] साहबको टर्कीके साथ बातचीत करनेके लिए मित्रराष्ट्रोंका जो सम्मेलन हो रहा है उसमें भाग लेने के लिए बुलाया है; डा० अंसारी भी सदस्य नामजद हुए हैं। यह असहयोगकी स्पष्ट विजय है। मैं यह नहीं कहता कि हमें डरके मारे चुप- चाप बैठे रहना चाहिए। डर तो एक ईश्वरके सिवा और किसीका रखनेकी कोई जरू- रत नहीं। लेकिन न डरना एक वस्तु है और गुस्सा न करना दूसरी । आपसे अगर गुस्सा किये बिना नहीं रहा जा सकता हो तो चुपचाप शान्तिपूर्वक अपने घरमें बैठे रहिए; हिजरत कीजिए। हिजरत अर्थात् त्याग । यह हिन्दू-मुसलमान दोनों कर सकते हैं। लेकिन यदि आप असहयोगके बहादुर सिपाही बनना चाहते हो तो यह निश्चय कीजिए कि किसीको मारनेके लिए हाथमें पत्थर अथवा ऐसी ही कोई चीज उठाकर आप अपने हाथ अपवित्र नहीं करेंगे। खराब शब्द बोलकर जीभको अपवित्र नहीं करेंगे। हमें सात महीने में स्वराज्य चाहिए। उसके लिए अगर अधिक संख्या में विद्यार्थी

 
  1. १. जब कलकत्ते में कांग्रेसका विशेष अधिवेशन हुआ था ।
  2. २. मियाँ मुहम्मद हाजी जान मुहम्मद छोटानी ।