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२३६. तार : केन्द्रीय खिलाफत समिति, बम्बईको

२२ मार्च, १९२१

कराची तार भेज दिया। असहयोगी यदि शिक्षाका राष्ट्रीयकरण करनेकी चेष्टा करें तो रोका न जाये ।

[ अंग्रेजीसे ]

बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स, १९२१, पृष्ठ ३५० ।

२३७. टिप्पणियाँ
ईश्वरके लिए, राजाके लिए, और देशके लिए

अपनी यात्राके दौरान मुझे कुछ लड़के मिले, जिन्होंने वर्दी पहन रखी थी । मैंने उनसे पूछा कि उनकी वर्दीका क्या अर्थ है। मैंने गौरसे देखा कि उनकी वर्दी विदेशी कपड़ेकी अथवा विदेशी सुतसे बुने कपड़ेकी थी। उन्होंने कहा, यह बालचरोंकी वर्दी है। उनके उत्तरसे मेरी जिज्ञासा बढ़ी। मैं यह जाननेको उत्सुक हुआ कि बाल- चरोंके नाते वे क्या करते हैं। उन्होंने उत्तर दिया कि वे ईश्वरके लिए, राजाके लिए, और देशके लिए जीते हैं। मैंने पूछा, “तुम्हारा राजा कौन है?" उत्तर मिला, "किंग जॉर्ज।" “जलियाँवालाके बारेमें तुम्हारी क्या राय है ? मान लो १३ अप्रैल, १९१९ के दिन तुम वहाँ होते, और जनरल डायर तुम्हें अपने भयाकुल देशवासियोंपर गोली चलानके लिए कहते, तो तुम क्या करते ? "

"स्पष्ट है कि मैं उस आज्ञाका पालन नहीं करता।"
किन्तु जनरल डायर राजाकी वर्दी पहने हुए थे?
“ठीक है, किन्तु वे तो नौकरशाहीके सदस्य हैं, और मेरा उससे कोई वास्ता नहीं है।"

इसपर मैंने उनसे कहा कि तुम नौकरशाहीको राजासे अलग करके नहीं देख सकते, राजा तो एक निर्वैयक्तिक आदर्श सत्ता है। इसका यह अर्थ होता है कि ब्रिटिश साम्राज्य तथा किसी भी भारतीयके लिए यह सम्भव नहीं कि आज साम्राज्यका जो रूप हो गया है उसे देखते वह साम्राज्यका भी वफादार रहे और ईश्वरका भी। जो साम्राज्य फौजी शासनके द्वारा फैलाये गये आतंकके लिए जिम्मेदार हो, जो साम्राज्य अपनी गलतियोंके लिए पश्चात्ताप करनेको तैयार नहीं हो, जो साम्राज्य गम्भीरता- पूर्वक दिये गये अपने वचनोंको भंग करके गुप्त सन्धियाँ करे, ऐसे साम्राज्यको अधर्मी- ईश्वरका कोई खयाल न रखनेवाला- साम्राज्य ही कहा जा सकता है। अतः, उसके प्रति निष्ठा रखना ईश्वरके प्रति अनिष्ठा होगी।