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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वैसे तो हमें अपने देशके सुयशकी खातिर आशा तो यही करनी चाहिए कि सदस्य स्वयं मतदाताओंके इतने जोरसे घोषित निर्णयके सामने सिर झुकायेंगे।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २४-११-१९२०


१९. प्राथमिक शिक्षाकी दशा

पण्डित गंगाराम शर्माका[१] पत्र जो अन्यत्र दिया जा रहा है,[२] राष्ट्रीय शिक्षाके प्रश्नपर अवसरोपयोगी विचार प्रस्तुत करता है। वे पंजाबमें प्राथमिक शिक्षापर उपयोगी परीक्षण भी कर रहे हैं और इस महत्त्वपूर्ण समस्यापर काफी प्रकाश डाल सकते हैं। उनका सरकारी मदद लेने और अपने स्कूलको सरकारसे सम्बद्ध कराने से इनकार कर देना उनकी योजनाको और भी आकर्षक बना देता है। योजनाको पण्डित मदनमोहन मालवीयजी और श्री शास्त्रियरके आशीर्वाद प्राप्त हैं। कार्यक्रम महत्त्वाकांक्षापूर्ण और सुविचारित है। योजना खर्चीली नहीं है। मुझे डर इतना ही है कि उसने जरूरत से ज्यादा काम समेट लिये हैं। परन्तु किसी प्रयोगकी प्रयोग-स्थलपर जाकर सावधानीसे परीक्षा किये बिना आलोचना करना अनुचित है। में प्राथमिक शिक्षाकी किसी भी योजना में अंग्रेजीका ज्ञान शामिल करनेके औचित्यपर आपत्ति करता हूँ। मेरी रायमें इस देशके हजारों लड़के-लड़कियोंको अंग्रेजी जानने की कतई जरूरत नहीं है। उन्हें भाषाओंके बजाय विचारोंकी ज्यादा जरूरत है। मैं तो छोटे बच्चोंको भी स्वराज्य तथा अन्य जरूरी विषयोंका ज्ञान दे सकता हूँ। मैं यह नहीं मानता कि इसके लिए उन्हें उच्च साहित्यिक ज्ञान पानेतक रुकना चाहिए। शिक्षाकी वर्तमान प्रणाली और तरीका, बच्चेको अनेकों निरर्थक तथ्योंका ज्ञान कराता रहता है और उसकी बुद्धिका विकास तबतक उपेक्षित ही रहता है जबतक कि वह उच्च कक्षाओं में शिक्षा नहीं पाने लगता। इस तरह हम अकारण ही ऐसा समझने लगे हैं कि स्वतन्त्रता, धर्म आदिके बारेमें हम सही विचारोंको अंग्रेजीके ज्ञानके बिना ग्रहण नहीं कर सकते; फल यह हुआ कि अंग्रेजीके प्रति हममें अंधा मोह पैदा हो गया है।

पण्डित गंगाराम शर्माके पत्रका ज्यादा दिलचस्प अंश वह है जिसमें वे उन कठिनाइयोंके बारेमें बताते हैं जो स्थानीय अधिकारियोंने उनके रास्ते में डालीं; उस अंशमें वे पंजाबमें प्राथमिक शिक्षाकी 'प्रगति' के आश्चर्यजनक आंकड़े भी पेश करते हैं। इन आँकड़ोंसे जान पड़ता है कि १८४४ में १२७ लाखकी आबादी में ३०,००० देशी स्कूल थे जिनमें ४ लाख बच्चे शिक्षा पाते थे। १९१८-१९में १९० लाखकी आबादी में केवल ९३३ देशी स्कूल थे और ४,१७१ सरकारी स्कूल जिनमें कुल मिलाकर २,३९,३३२ बच्चे शिक्षा पाते थे। यदि ये आंकड़े सही हैं तो पंजाबमें प्राथमिक

  1. पंजाबके एक स्थानीय कांग्रेसी कार्यकर्ता।
  2. यहाँ नहीं दिया जा रहा है।