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तार: नारणदास गांधीको

शिक्षाकी दशा आज सन् १८४९ की अर्थात् ब्रिटिश शासनसे पूर्वकी अपेक्षा अधिक बुरी है। फिर भी हमें बताया जाता है कि यदि हम शिक्षाका राष्ट्रीयकरण करें तो हम उसका आर्थिक भार वहन नहीं कर सकते।

पण्डित गंगाराम शर्माने और भी ऐसे तथ्य तथा आँकड़े मुझे बताये हैं जो ब्रिटिश शासनकी प्रतिष्ठाके लिए इतने ही हानिकर हैं। मैं उनके बारेमें बादमें लिखूँगा।

[अंग्रेजी से]

यंग इंडिया, २४-११-१९२०


२०. तार: नारणदास गांधीको[१]

[२४ नवम्बर, १९२० को या उसके बाद][२]

लड़कोंको दृढ़ रहना चाहिए, हुल्लडबाजी से बचना चाहिए, नित्य कवायद करनी चाहिए व तबतक घरमें पढ़ाई जारी रहनी चाहिए जबतक नया हाई स्कूल न खुले या इस हाई स्कूलका राष्ट्रीयकरण न हो जाये। उन्हे अभिभावकोंसे अवश्य सलाह लेनी चाहिए और यदि कोई हो तो उसे विनयपूर्वक सहना-सँभालना चाहिए। बेंकरसे[३] मशविरा करो। तीन स्कूल मास्टरोंने सेवाएँ अर्पित की है।

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ७३५४) की फोटो-नकलसे।

 
  1. यह तार नारणदास गांधीके २३ नवम्बरको बम्बईसे दिये गये तारके जवाबमें भेजा गया था। नारणदास गांधीने अपने तारमें गांधीजीको सरकारी मान्यता प्राप्त गोकुलदास तेजपाल स्कूलके तीन सौ लड़कों द्वारा स्कूल छोड़ दिये जानेकी खबर दी थी और उनकी सलाह माँगी थी।
  2. नारणदासका तार गांधीजोको २४ नवम्बरको मिला था।
  3. शंकरलाल बैंकर; सामाजिक कार्यकर्ता और अहमदाबादके मजदूर नेता। यंग इंडियाके प्रकाशक अहमदाबादकी कपड़ा मिलोंकी हड़तालके दौरान गांधीजीके निकट सम्पर्क में आये; १९२२ में गांधीजीके साथ जेल गये।