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पारसियोंसे


पाँचवीं बात है, प्रत्येक घरमें चरखेका प्रारम्भ, खादीका अधिक उत्पादन तथा उपयोग, और विदेशी कपड़ेका पूर्ण त्याग ।

छठी बात है, तिलक स्वराज्य कोषके लिए नियमित ढंगसे बराबर चन्दा एकत्र करना । यदि इस दिशा में संगठित प्रयत्न किया जाये, तो हम सत्याग्रह सप्ताह में एक करोड़ रुपया भी संग्रह कर ले सकते हैं। मेरी अनवरत यात्राओंने मुझे आश्वस्त कर दिया है कि देश एक करोड़से भी ज्यादा देनेके लिए तैयार है। हाँ, ईमानदार संग्रहकर्ता पर्याप्त संख्यामें नहीं हैं। सत्याग्रह सप्ताह में इस कामको करनेके लिए देशके प्रत्येक जिलेको अपने आपको संगठित कर सकना चाहिए।

हड़तालें बहुत आम हो गई हैं; उनका आयोजन आसानीसे हो सकता है और इसलिए अब उनका वह महत्व नहीं रह गया है जो प्रारम्भमें था। किन्तु उन दो दिनोंकी हड़तालका अपना एक अलग महत्व है। और मैं बेशक ६ अप्रैल और १३ अप्रैल- को उपवासके साथ-साथ हड़ताल करनेकी सलाह दूंगा। कहने की जरूरत नहीं कि जोर- जबरदस्ती बिलकुल नहीं होनी चाहिए। कोई चाहे मिलमें काम करता हो या कहीं और, यदि उसे छुट्टी न मिले तो काम नहीं बन्द करना चाहिए, और ट्रामके प्रबन्धकों पर कोई अनुचित दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। हमें इस बातपर विश्वास करके चलना चाहिए कि जनता उचित और आवश्यक कारणके बिना सरकारी परिवहन गाड़ियोंका उपयोग नहीं करेगी। उपवासके दिनोंका उपयोग विशेष प्रार्थनाओं तथा पूजा- के लिए किया जाना चाहिए।

मैं जनतासे अनुरोध करूंगा कि वह अपनी मांगोंके सम्बन्धमें कोई भी प्रस्ताव पास न करे। समर्पणका यह सप्ताह आत्म-निरीक्षण तथा शुद्धीकरणका सप्ताह होना चाहिए। वांछित परिणाम प्राप्त करनेके लिए हमें अपने कामपर भरोसा करना चाहिए। ज्यों ही हम अपने-आपको योग्य बना लेंगे, दुनियाकी कोई भी हस्ती हमें स्वराज्य प्राप्त करने तथा इन दो महान् अन्यायोंका निराकरण कराने से रोक नहीं सकेगी।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २३-३-१९२१

२३९. पारसियोंसे

प्यारे दोस्तो,

मैं जानता हूँ कि आप वर्तमान असहयोग आन्दोलनको बड़ी दिलचस्पीसे देखते आ रहे हैं। आपको शायद यह भी मालूम होगा कि सभी विचारवान असहयोगी आतुरतासे इस बातकी प्रतीक्षा कर रहे हैं कि जिस शुद्धीकरणकी प्रक्रियासे समस्त राष्ट्र गुजर रहा है, उसमें आप क्या भूमिका निभाने जा रहे हैं। व्यक्तिश: मुझे तो हर तरहसे यह विश्वास है कि जब अन्तिम निर्णयकी घड़ी आयेगी तो आप वही करेंगे जो सही है। आज ये दो शब्द आपके नाम इसलिए लिख रहा हूँ कि मुझे लगता है, शायद अन्तिम निर्णयकी वह घड़ी आ गई है।