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पारसियों


टाटा परिवार रॉकफेलरवाली जिस भावना से ग्रस्त होता जान पड़ रहा है, उससे मुझे बड़ा भय लगता है। भारतके औद्योगीकरणसे देशका सचमुच कोई लाभ हो सकता है, सो कहना कठिन है। इसलिए इस उद्देश्य से उनका गरीबोंकी सम्पत्ति हड़प करना मुझे बड़ा खतरनाक जान पड़ता है। अलबत्ता मुझे विश्वास है कि यह एक अस्थायी स्थिति है। आप लोग इतने बुद्धिमान और होशियार हैं कि ऐसे आर्थिक उद्यमोंके आत्मघाती रूपको आप किसी दिन अवश्य ही पहचान लेंगे। आपकी आशु बुद्धि आपको बतायेगी कि भारतको जिस चीजकी जरूरत है वह चन्द हाथोंमें पूंजीका सिमट जाना नहीं है बल्कि उसका ऐसा वितरण है जिसका लाभ १,९०० मील लम्बे और १,५०० मील चौड़े इस महादेशके साढ़े सात लाख गाँवोंको मिल सके। इसलिए मैं जानता हूँ कि वह दिन दूर नहीं है जब आप एक समग्र जातिके रूपमें उन सुधारकोंके कन्धेसे-कन्धा लगाकर खड़े हो जायेंगे जो भारतको उसका रक्त चूसकर बेजान बना डालनेवाले साम्राज्यवादके अभिशापसे मुक्त कराने के लिए आतुर हो रहे हैं। लेकिन एक बात ऐसी है जिसके सम्बन्धमें अब प्रतीक्षा करते रहना अपराध है। समस्त भारतमें मद्य-त्यागकी एक लहर-सी दौड़ रही है। लोग स्वतः ही मद्य छोड़ देना चाह रहे हैं। समाजमें बड़ी तेजीसे ऐसा जनमत तैयार हो रहा है जिससे शराब पीना एक अक्षम्य अपराध माना जाने लगेगा। बहुत-से पारसी शराबकी दुकानें चलाकर अपनी जीविका कमाते हैं। अगर आप पूरे मनसे सहयोग करें तो बम्बई इन बहुत-से अभिशप्त स्थानोंसे मुक्त हो जाये । इस आन्दोलनके इस हदतक सफल होनेके आसार नजर आ रहे हैं कि हो सकता है, सरकारको आबकारीसे एक पैसा भी मिलना बन्द हो जाये; किन्तु प्राय: सारे भारतमें स्थानीय सरकारें इसे विफल करनेका निद्य प्रयास कर रही हैं। तो इस स्थितिमें आप सरकारकी मदद करेंगे या जनता की? बम्बई सरकारने अभीतक इस मामले में घबराहट और उतावलापन नहीं दिखाया है। लेकिन, मैं नहीं सोच सकता कि उसमें इतना साहस और बुद्धिमानी होगी कि वह आबकारी- की आयसे खुशी-खुशी हाथ धो ले। आपको निर्णय तत्काल करना है। मैं नहीं जानता, इस सम्बन्ध में आपके धर्म-ग्रंथ क्या कहते हैं। हाँ, मैं यह अनुमान अवश्य लगा सकता हूँ कि अच्छाईको बुराईसे अलग करके बुराईपर अच्छाईकी विजयका गीत गानेवाले उस नबीने क्या कहा होगा। लेकिन आपका धार्मिक विश्वास चाहे जो हो, आपको यह तय करना है कि आप पूरे मनसे मद्य निषेधके काममें सहयोग देकर उसे आगे बढ़ायेंगे या इस घटनाक्रमको उदासीन और दार्शनिक-भाव से देखते रहेंगे। मैं आशा तो यही करूंगा कि भारतकी एक व्यवहारवादी जातिके नाते आप मद्य-निषेधके इस महान् आन्दोलन में पूरी तरह से सक्रिय सहयोग देंगे, क्योंकि ऐसे आसार नजर आ रहे हैं कि यह अपने ढंगके दुनियाके सभी आन्दोलनोंको मात कर देगा ।

आपका विश्वस्त मित्र,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, २३-३-१९२१