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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


भी हर व्यक्तिसे अपेक्षा यही की जाती है कि वह, दूसरे क्या करते हैं, इसका कोई खयाल किये बिना इसमें हाथ बँटायेगा, क्योंकि यह सार्वजनिक आन्दोलन होने के साथ ही शुद्धीकरणका भी आन्दोलन है। हम स्कूलों और अदालतोंका परित्याग इसलिए करते हैं कि उनको समर्थन और सहारा देना पाप है। इसके पीछे कोई ऐसा खयाल नहीं है कि व्यक्तिका यह कार्य सरकारको ठप कर देगा। लेकिन जब यह काम व्यक्तिके बजाय समुदाय करेगा तो उसका परिणाम सरकारके ठप हो जानेके रूपमें प्रकट होगा ही। जिन विद्यार्थियोंने अन्तरात्माकी आवाजपर नहीं, बल्कि आज कांग्रेसके आवाहनपर स्कूल छोड़े, उन्होंने गलती की और उन्हें अब अपने-अपने स्कूलों में लौट जाना चाहिए और अपने साथियोंके ताने बर्दाश्त करने चाहिए। लेकिन जिन लोगोंने अपने विश्वासके कारण स्कूल छोड़े हैं, उन्हें अडिग रहना चाहिए—भले ही वे मुट्ठीभर ही क्यों न हों। एक खरे सिक्केका मूल्य अवश्य होता है; उतना ही जितना कि उसपर अंकित है। लेकिन दस लाख खोटे सिक्के भी जड़-भार ही होते हैं; और वे सर्वथा बेकार हैं। जब थोड़े-से सच्चे असह- योगी अपनी योग्यता सिद्ध कर देंगे तो यह आन्दोलन अपने-आप सार्वजनिक आन्दो- लन बन जायेगा। इसकी भावना आज भी जनसाधारणमें व्याप्त है। किसी भी दिन सार्वजनिक तौरपर कार्रवाई की जा सकती है। मेरा खयाल है कि भारत अक्तूबर तक उसके लिए तैयार हो जायेगा। जिन्हें विश्वास है, उन्हें प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। मैं जानता हूँ कि जिन विद्यार्थियोंने स्कूल-कालेज नहीं छोड़े हैं, उन्होंने कमजोरीके कारण ही ऐसा किया है। उसका कारण कुछ यह नहीं है कि वे उन स्कूलोंको त्याग देना गलत मानते हैं, जिनका संचालन एक ऐसी सरकारकी छत्रछाया में हो रहा है जिसे वे खुशी-खुशी ध्वस्त कर देना चाहेंगे।

[ अंग्रेजी से ]

यंग इंडिया, २३-३-१९२१

२४२. भाषण : कटकमें

२३ मार्च, १९२१

श्री गांधीने मौलाना शौकत अलोकी अनुपस्थितिके लिए क्षमायाचना करनेके बाद, लोगोंसे हिन्दू-मुस्लिम एकताकी अपील की और कहा कि वे उसे स्वराज्यकी पहली शर्त मानते हैं। उन्होंने उड़िया-भाषी क्षेत्रोंके विभिन्न राज्योंमें बिखरे होनेका उल्लेख किया और एक पृथक् उत्कल प्रान्त बनानेकी आवश्यकतापर जोर दिया; साथ ही वहाँ बार-बार आनेवाले अकालोंकी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जब हमें स्वराज्य मिल जायेगा तो ये समस्याएँ आसानीसे हल की जा सकेंगी। यदि हम कांग्रेसके असहयोग सम्बन्धी प्रस्तावको कार्यान्वित करें तो ७ महीनेमें आसानीसे स्वराज्य ले सकते हैं । उन्होंने उड़ीसाके लोगोंसे अनुरोध किया कि वे अपने गाँवोंका संगठन करें, ३० जून