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२४४. भाषण : कटकमें मुसलमानोंकी सभामें

२४ मार्च, १९२१

महात्माजीने मुसलमानोंकी एक सभामें भाषण देते हुए खिलाफत सम्बन्धी अन्यायोंका वर्णन किया और बताया कि उनका प्रतिकार किस प्रकार हो सकता है। उन्होंने कहा, आप लोगोंको हिन्दुओंके साथ मिलजुलकर, सद्भावसे रहना चाहिए। गो-हत्याके सवालपर में मुसलमानोंसे सौदा नहीं करना चाहता। मैं तो चाहता हूँ कि इस्लाम, हिन्दू धर्म और भारतके सम्मानपर आँच न आने पाये। मेरा आपसे अनुरोध है कि जबतक खिलाफतका प्रश्न सन्तोषजनक रूपसे हल नहीं हो जाता, आप चैनसे न बैठें।

खिलाफत-शिष्टमण्डल और छोटानीके[१] कार्यका उल्लेख करते हुए, उन्होंने मुसल- मानोंको विश्वास दिलाया कि जबतक खिलाफतका प्रश्न अन्तिम रूपसे हल नहीं हो जाता, हिन्दू लोग उनके मित्र और भाईके नाते अपना कर्त्तव्य निबाहेंगे। उन्होंने कहा : "मैं स्वयं इसके लिए जानतक देनेको तैयार हूँ।" उन्होंने लोगोंसे सभा-स्थलपर ही चन्दा देनेका अनुरोध किया।

[ अंग्रेजीसे ]

अमृतबाजार पत्रिका, ३१-३-१९२१

२४५. भाषण : कटककी सार्वजनिक सभामें

२४ मार्च, १९२१

शामको गांधीजीने एक अन्य विशाल सार्वजनिक सभामें भाषण दिया। विद्यार्थियों और वकीलोंके बैठने के लिए मंचकी दाहिनी ओर अलग प्रबन्ध किया गया था। पहले उन्होंने हिन्दुस्तानी और उड़िया सीखनेकी आवश्यकता समझाई । अंग्रेजी साहित्यके अध्ययनके प्रति उन्होंने लोगों को निरुत्साहित नहीं किया। उन्होंने विद्यार्थियोंसे अपील की कि वे शिक्षाकी दूषित प्रणाली और सरकारके उस कुप्रभावसे अलग रहें जो उनका नैतिक बल तोड़नेवाला सिद्ध होता है। उन्होंने विद्यार्थियोंसे प्रतिदिन आठ घंटे चरखा चलाने और इस तरह स्वराज्य-प्राप्तिके प्रयासमें अपना योग देनेको कहा। इसके बाद उन्होंने श्रोताओंसे प्रश्न करनेको कहा।

  1. १. मियां छोटानी ।