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भाषण : कटकको सार्वजनिक सभामें


प्र० - यदि असहयोग आन्दोलन असफल हो जाता है तो हमें क्या करना होगा ?

उ० -- यदि आप अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं तो इसके असफल होनेपर भी इतना तो माना हो जायेगा कि आपने पाप और शैतानके सम्पर्कसे दूर रहकर अपना कर्त्तव्य पूरा कर लिया ।

यदि में अपनी पढ़ाई छोड़ दूं तो देशी रियासतोंमें मेरे पिताको सम्पत्ति जब्त कर ली जायेगी। तो क्या में उन्हें विपत्तिमें डाल दूं और उनकी आज्ञाका पालन न करूँ ?

जब रामचन्द्र १४ वर्षके लिए प्रसन्नता से वन गये थे, तब उन्होंने अपने कर्त्तव्यका ही पालन किया था। उन्होंने दशरथकी चिन्ताओंकी परवाह नहीं की। मेरी समझमें यह बात नहीं आती कि कोई देशी राजा पुत्रके आचरणके कारण पिताकी सम्पत्तिको कैसे जब्त कर सकता है। यदि इस प्रकार सम्पति जब्त कर भी ली जाये तो लड़केको यह खतरा अपने सिर लेना ही चाहिए। देशी रियासतोंके ऐसे निरंकुशतापूर्ण नियम केवल स्वराज्य पानेपर ही खत्म होंगे ।

डाक्टरी पढ़नेवालोंके लिए आप क्या कहते हैं ?

हम भारतमाताके स्वास्थ्यकी औषधि तैयार कर रहे हैं। गरीबी से पीड़ित तीस करोड़ लोगोंको इस औषधिकी जरूरत है।

अंग्रेजी शिक्षा हमारे राष्ट्रीय जीवनको तहमें पैठ चुकी है, इससे विभिन्न समुदायोंके भारतीयों में एकता आई है और वह छुआछूत भी समाप्त कर सकती है। फिर भी क्या यह एक खालिस बुराई ही है ? क्या तिलक, राममोहनराय, और आप अंग्रेजी शिक्षाकी ही देन नहीं हैं ?"[१]

बहुत से लोग ऐसे विचार व्यक्त करते हैं। अपने देशभाइयों और अंग्रेजोंके दुराग्रह- पूर्ण अज्ञान और पूर्वग्रहपर विजय हासिल करके हमें स्वराज्यका मोर्चा जीतना होगा। यह शिक्षा प्रणाली एक खालिस बुराई है। मैं उस प्रणालीको नष्ट करने के लिए अपनी ताकत लगा रहा हूँ। मैं यह नहीं कहता कि हमें अभीतक इस प्रणालीसे कोई भी लाभ नहीं मिला। लेकिन हमें अबतक जो लाभ मिले हैं वे उस प्रणालीके कारण नहीं, उसके बावजूद मिले हैं। मान लीजिए कि अंग्रेज यहाँ न होते, तो उस हालतमें भी भारत संसारके अन्य भागोंके साथ-साथ आगे बढ़ता और यदि यहाँ मुगल शासन बना रहता तो भी अनेक व्यक्ति अंग्रेजी भाषा और साहित्यका अध्ययन अवश्य करते । वर्तमान शिक्षा प्रणाली एक ओर तो हमें अंग्रेजी साहित्यका विवेकसम्मत उपयोग नहीं करने देती और दूसरी ओर हमें गुलाम बनाती है। मेरे मित्रने मेरा, तिलक और राममोहन रायका उदाहरण दिया है। मेरी बात छोड़िए; मैं एक अदना-सा दयनीय आदमी हूँ। तिलक और राममोहन रायको यदि अंग्रेजी शिक्षा की छूत न लगी होती, तो वे कहीं अधिक महात् व्यक्ति होते (तालियाँ) | मैं तालियोंसे आपकी दिखावटी सहमति नहीं चाहता, में आपके विवेक और तर्कका समर्थन चाहता हूँ। मैं अंग्रेजी शिक्षासे घृणा नहीं

  1. १. इस प्रश्नका उत्तर, १३-४-१९२१ के यंग इंडियासे लिया गया है ।