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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


हमारे पास होना चाहिए। प्रत्येक सदस्यको कांग्रेसके संविधानकी सामान्य जानकारी दी जानी चाहिए और उसे असहयोगके मुख्य सिद्धान्तों से परिचित कराया जाना चाहिए। इस कार्यकी देखभालके लिए एक कार्यकर्ताकी नियुक्ति खासतौरसे की जानी चाहिए। वह देखे कि प्रत्येक स्थानपर काम किस तरह चल रहा है। प्रत्येक जिलेकी ओरसे हर सप्ताह ब्यौरेवार और अधिकृत रिपोर्ट प्रकाशित की जानी चाहिए। ऐसे कार्योंके लिए कितने ही व्यक्तियोंको स्वराज्यके निमित्त चौबीस घंटे कार्य करना होगा। इतना ही नहीं इनके हरेक कार्य में ज्ञान, विवेक और सचाई चाहिए। अभी मैं हर जगह द्वेष, दम्भ, मोह और अधिकार-लोभ आदिके दर्शन कर रहा हूँ। जब इसका ध्यान आता है तब मेरी श्रद्धा लड़खड़ाने लगती है; लेकिन जब समग्र जनजागृति और आत्मशुद्धिका विचार मुझे आता है तब मेरी श्रद्धा लौट आती है। तिसपर भी हमें सूक्ष्म से सूक्ष्म तत्वोंपर ध्यान रखना सीखना चाहिए। अंग्रेजी कहावत है कि जो पैसेका ध्यान रखता है उसे रुपये- के हिसाबकी चिन्ता नहीं करनी पड़ती। बूँद-बूँदसे सरोवर भरता है।

चरखा और खादी

जबलपुरमें मैंने इन तरुण जमींदारोंको उपर्युक्त काम करते हुए देखा है। उन्होंने यही नहीं, स्वदेशीके कामको भी बहुत सँभाल रखा है। वे गाँव-गाँव चरखेका प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने रुई खरीद ली है और उसकी पूनियाँ तैयार करवा कर लोगों में बाँट दी हैं। जहाँ छः मास पहले एक भी चरखा नहीं चलता था वहाँ आज सैकड़ों चरखे चल रहे हैं और खादी तैयार हो रही है। इस परिवारके दोनों भाई खादी पहनते हैं और दोनों भाई अपने वस्त्रोंके लिए सूत भी स्वयं ही कातते हैं।

मद्यपान निषेध

मद्य-निषेधका काम खूब चल रहा है। किसी-किसी स्थानपर शराबका ठेका लेनेवाला ही कोई व्यक्ति नहीं मिला। यदि हम हिम्मत करके शराब बन्द कर सकें तो हिन्दुस्तानके गरीब घरोंका सत्रह करोड़ रुपया इसपर व्यर्थ न जाये । सरकारको फिलहाल जो सत्रह करोड़ रुपयेकी आय होती है, वह हमारे घरोंमें से ही जाता है।

बहनोंसे निवेदन

यदि गुजरातकी बहनें इस कार्यको अपने हाथ में ले लें तो हम जून महीने से पहले ही कमसे-कम गुजरातसे शराबको जड़मूलसे निकाल सकते हैं। प्रत्येक जिलेमें जहाँ जहाँ शराब की दुकानें हैं उन्हें वहाँ पहुँच जाना चाहिए। पहुँचनेपर पहले उनके मालिकोंसे और अगर वे न मानें तो शराब पीनेवालोंसे अनुरोध करना चाहिए। बहनें कड़े शब्दोंका व्यवहार बिलकुल न करें। "आप हमारे भाईके समान हैं और हमारे भाई शराब कदापि नहीं पी सकते, इसलिए आप भगवानके नामपर शराब पीना छोड़ दें।" मैं चाहता हूँ कि आप सिर्फ इतना ही कहें। मुझे विश्वास है कि अनेक शराब पीनेवाले तो शरमिन्दा होकर लौट जायेंगे; कदाचित् नहीं भी जायें। हो सकता है वे मर्यादा न रखें और बहनोंको गालियाँ भी दें। किन्तु फिर भी बहनोंसे मेरा निवेदन है कि वे भारतवर्षके लिए गालियाँ भी सह लें। शहरकी किसी भी