पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/५२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२५१. कांग्रेसका संविधान

पिछली कांग्रेसने एक ऐसा संविधान[१] तैयार किया है, जिसे यदि ठीक ढंग से कार्यान्वित किया जाये तो वही हमें स्वराज्यतक ले जानेके लिए काफ़ी है। इस संविधान के अनुसार भारतके प्रत्येक भाग में प्रतिनिधि समितियाँ बनाई जायेंगी और वे एक केन्द्रीय संगठन, अर्थात् अखिल भारतीय कांग्रेस समिति, के साथ सहयोजित ढंगसे, स्वेच्छापूर्वक उसकी अधीनतामें कार्य करेंगी। वह सभी बालिग स्त्री-पुरुषोंको मताधिकार देता है, जिसकी केवल दो ही शर्तें हैं — उसके प्रतिज्ञापत्रपर हस्ताक्षर करना तथा नाममात्रका चार आना शुल्क देना । संविधानका अभीष्ट सभी दलों और समुदायोंको उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त कराना है। अतः यदि वह ईमानदारीके साथ कार्यान्वित किया जाये, और जनताका विश्वास और सम्मान अर्जित कर सके, तो वह बिना किसी कठिनाईके वर्तमान सरकारको निकाल बाहर कर सकता है। जनताके सहयोगके अतिरिक्त सरकारकी अपनी कोई शक्ति नहीं है — चाहे यह सहयोग ऐच्छिक हो या जोर-जबरदस्तीसे लिया जाता हो। जिस शक्तिका सरकार प्रयोग करती है, वह लगभग हमारे ही लोगोंके जरिये करती है। प्रत्येक गाँव पीछे एक यूरोपीय मानें तो भी एक लाख यूरोपीय हमारी सहायताके बिना, हमारे कुल ७ लाख गाँवोंमें से एक सप्तमांशको ही कब्जे में रख सकते हैं। और एक यूरोपीयके लिए, चाहे वह स्वयं भी उपस्थित हो, एक भारतीय ग्रामपर यानी अनुमानतः ४०० पुरुषों और स्त्रियोंपर अपनी इच्छाको लादना कठिन ही होगा।

इसलिए हमें इतना ही करना है कि हम अपनी इच्छाको सरकारकी इच्छाके विरो- धर्मे खड़ा करें; दूसरे शब्दोंमें कहें तो अपना सहयोग उससे खींच लें। यदि हम अपने ध्येयमें एक हों तो सरकारको हमारी इच्छाका पालन करना ही होगा, या फिर उसे हट जाना होगा। अपनी शक्तियोंको दृढ़ करनेके लिए सरकार उपद्रवकारी तत्वोंसे काम लेती है। हिंसा होनेपर वह दमन शुरू कर देती है; यदि हममें परस्पर फूट हो तो वह प्रलोभन देकर हमें और भी लड़ाती है और यदि हममें एका हो तो फिर वह चिकनी चुपड़ी बातें करके समझौता करना चाहती है। जो सर्वाधिक मुखर होते हैं उन्हें वह ललचाती-फुसलाती है; किन्तु हमें यदि कुछ करने की जरूरत है तो इतना ही कि हम अहिंसक बन रहें, एक रहें तथा उसके लालच देने और फुसलानेकी उपेक्षा करें।

निस्सन्देह सुसंस्कृत और बुद्धिमान लोगोंको इतना कर लेनेके लिए किसी बड़ी शिक्षाकी आवश्यकता नहीं है। उनके सामने एक ऐसा सर्वस्वीकार्य उद्देश्य और मंच, जो उनकी समझमें आजाये, प्रस्तुत करना कठिन नहीं है। किन्तु यह सब कहने से नहीं, काम करनेसे, संगठन करनेसे होगा। मेरा सुझाव है कि हम ३० जूनसे पहले कांग्रेस संस्थामें, कमसे-कम एक करोड़ सदस्योंकी सही-सही भरती करनेपर अपना


  1. १. नागपुर अधिवेशनमें पास किया गया कांग्रेसका संविधान, दिसम्बर १९२० । देखिए पृष्ठ १९४-२०२