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भाषण: पहले प्रस्तावपर


उन्होंने कहा कि मन और शरीरकी शुद्धि, हिन्दू-मुस्लिम एकता और स्वदेशी चीजोंका उपयोग — ये सभी बातें आपको स्वराज्य दिलायेंगी ।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १-४-१९२१

२५३. भाषण : पहले प्रस्तावपर[१]

वेजवाड़ा
३१ मार्च, १९२१

प्रथम प्रस्तावको स्वीकृतिके लिए पेश करते हुए श्री गांधीने वर्तमान स्थितिपर बहुत ही स्पष्ट शब्दों में विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अबतक हमारा ध्यान खिताबों, परिषदों, शिक्षणसंस्थाओं तथा न्यायालयोंके त्यागके लिए प्रचार करने- पर ही केन्द्रित रहा है, किन्तु अब इन बातोंके लिए प्रचार करनेकी जरूरत नहीं है; क्योंकि इनमें जो सफलता प्राप्त हो चुकी है, वह हर तरहसे सन्तोषजनक है। जिन विद्यार्थियोंने कालेज छोड़ दिये, या जिन वकीलोंने वकालत छोड़ दी, उनकी संख्या चाहे जितनी भी हो, उससे कांग्रेसके प्रचारका असली उद्देश्य पूरा हो गया है; अर्थात् इस देशकी नौकरशाही सरकारकी इन संस्थाओं को प्रतिष्ठा समाप्त हो गई है। जो विद्यार्थी या वकील अब भी स्कूलों या अदालतोंमें जा रहे हैं, उनमें से भी अधिकतर लोगोंको उस सिद्धान्तकी पूरी प्रतीति हो गई है जिसके लिए कांग्रेस लड़ी है, यद्यपि विभिन्न कारणोंसे वे कांग्रेसके प्रस्तावोंपर तत्काल अमल नहीं कर पाये हैं। इसलिए कांग्रेस भरोसा कर सकती है कि समय आनेपर यह आन्दोलन पूर्णताको प्राप्त होगा। इसलिए नागपुर कांग्रेस प्रस्ताव में घोषित समयके[२] भीतर स्वराज्यकी योजनाको पूरा करनेके लिए हमें इसके उन हिस्सोंपर ध्यान देना चाहिए जो इस देशकी आम जन- ताके लिए स्वराज्य पाने में प्रत्यक्ष रूपसे सहायक होंगे।

जनतामें असाधारण जागृति आई है और वह स्वराज्य प्राप्तिकी तात्कालिक आवश्यकताके प्रति पूरी तरह जागरूक है, किन्तु नेतागण पिछड़ गये हैं। इसलिए जनताकी आकांक्षाओंको निश्चित रूप और आकार देना जरूरी है। उसकी स्वराज्यकी कामना इस अत्यन्त निश्चित अनुभूतिपर आधारित है कि स्वराज्यके बिना उसकी दशा नहीं सुधरेगी और उसकी दशा सुधारनेका सीधा तरीका उसे इस योग्य बनाता है कि वह अपने लिए रोटी-कपड़ेका प्रबन्ध कर सके। इसी दृष्टिसे मुझे लगा कि स्वराज्य


  1. १. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी इस बैठकमें गांधीजीने चार प्रस्ताव पेश किये थे, जो स्वीकार कर लिये गये; उनके पाठके लिए देखिए "प्रस्ताव : अ० भा० कांग्रेस कमेटीको बैठकमें", ३१-३-१९२१ ।
  2. २. दिसम्बर १९२० में कांग्रेसके नागपुर अधिवेशन में पारित असहयोग-सम्बन्धी प्रस्ताव में एक वर्षको अवधिका उल्लेख है।