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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


प्राप्त करनेकी सबसे ज्यादा ताकत चरखा आन्दोलनमें है। अगर ऐसा कुछ किया जा सके जिससे आम लोग इसे अपना लें, यदि उन्हें इस काबिल बनाया जा सके कि वे अपने घरोंमें चरखेके उपयोगके बलपर अधिक से अधिक उत्पादन करके अपने लिए रोटी और वस्त्रका पूरा प्रबन्ध कर सकें और इस तरह आर्थिक स्वतन्त्रता प्राप्त करके इस विचारको व्यावहारिक रूप दे सकें तो उसके परिणामस्वरूप उन्हें तत्काल यह अनुभूति होने लगेगी कि अपनी आजीविका और प्रगति तथा समृद्धिके लिए वे अब विदेशियोंपर निर्भर नहीं हैं। इस तरह बाहरसे मँगाये जानेवाले सबसे महत्वपूर्ण विदेशी मालका पूरा-पूरा बहिष्कार भी सध जायेगा। यदि ऐसा हो जाये तो माना जा सकता है कि स्वराज्य मिल गया। इसीलिए मैं चाहता हूँ कि चरखा आन्दोलनको बढ़ावा दिया जाये।

प्रचारको सफल बनाने के लिए कार्यकर्ताओंकी जरूरत है। कांग्रेस संगठनोंको पूरी तरह इस काम में लग जाना चाहिए। जैसा कि प्रस्तावमें आग्रह किया गया है, यदि ३० जूनसे पहले एक करोड़ रुपया इकट्ठा हो जाये, मुझे उम्मीद है कि यह हो जायेगा, और देशके एक करोड़ स्त्री-पुरुष कांग्रेसके सदस्य बना लिये जायें, तो लोग अपनी स्वराज्यकी योग्यताका इससे बढ़कर कोई दूसरा स्पष्ट प्रमाण नहीं दे सकते कि उनमें स्वयं कांग्रेस संगठन के जरिये स्वराज्य प्राप्त करनेकी क्षमता है।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १-४-१९२१


२५४. भाषण : दूसरे प्रस्तावपर[१]

बेजवाड़ा
३१ मार्च, १९२१

श्री गांधीने कहा, मैं चाहता हूँ कि इस व्यवस्थाको ध्यान में रखते हुए कि नाग- पुर कांग्रेसने सविनय अवज्ञा-जैसी किसी बातकी साफ शब्दोंमें कोई सिफारिश नहीं की थी और असहयोग-सम्बन्धी प्रस्तावके अन्तर्गत वह नहीं आती, इस मामले देशका मार्गदर्शन करनेके विचारसे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीको सलाहके तौरपर अपना मत मात्र व्यक्त कर देना चाहिए।[२] असहयोगियों के विरुद्ध सरकारकी कार्रवाईके परि- णामस्वरूप सविनय अवज्ञाका प्रश्न अनेक हलकोंमें उठाया गया है। उन्होंने अनेक प्रान्तों में अधिकारियोंकी बहुत-सी कार्रवाइयोंके पूर्ण अनौचित्यकी विस्तारसे चर्चा की और बताया कि गम्भीर उतेजनाके समय भी लोग किस प्रकार आश्चर्यजनक ढंगसे


  1. १. यह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीको बैठकमें पेश किया गया दूसरा प्रस्ताव था ।
  2. २. सविनय अवज्ञा सम्बन्धित प्रस्तावके लिए देखें अगला शीर्षक ।