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२५५. प्रस्ताव : अ० भा० कांग्रेस कमेटीको बैठकमें[१]

३१ मार्च, १९२१

प्रस्ताव १

अ० भा० कां० क० का मत है कि सभी कांग्रेस संगठनों और कार्यकर्त्ताओंको अपना ध्यान मुख्य रूप से निम्नलिखित बातोंपर केन्द्रित करना चाहिए:

(क) अखिल भारतीय तिलक स्मारक-स्वराज्य कोषमें एक करोड़ रुपये जमा करना और आगामी ३० जूनसे पहले हर कांग्रेस प्रान्त द्वारा अपनी जनसंख्याको अनुपातमें द्रव्य संग्रह करना ।

(ख) संविधानके अनुसार कांग्रेस पत्रिकाओंमें एक करोड़ सदस्य दर्ज करना और आगामी ३० जूनसे पहले प्रत्येक [कांग्रेस] प्रान्त द्वारा अपनी जनसंख्याके अनुपातमें सदस्य बना लेना।

(ग) आगामी ३० जूनसे पहले गाँवों और घरोंमें २० लाख ऐसे चरखे दाखिल कर देना, जो अच्छी तरह काम करते हों; तथा प्रत्येक प्रान्त द्वारा अपनी जनसंख्याके अनुपातमें चरखे चालू कराना।

प्रस्ताव २

(क) अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी राय है कि विभिन्न प्रान्तोंमें दमनकी नीति अपनाते हुए अधिकारियोंने असहयोगियोंके विरुद्ध जो आदेश जारी किये हैं, वे देशकी वर्तमान स्थितिको देखते हुए सर्वथा अनावश्यक हैं और ऊँचेसे-ऊँचे विधिविशारदोंकी सम्मतिमें उनमें से अधिकांश अवैध हैं ।

(ख) समितिका विश्वास है कि कांग्रेसने इस देशके स्वराज्य प्राप्ति तथा खिला- फत और पंजाब-सम्बन्धी अन्यायोंके परिशोधनके प्रयत्नोंमें अहिंसाके जिस सिद्धान्तका विधान किया है, सरकार द्वारा गम्भीर उत्तेजनाएँ पैदा करते रहनेपर भी, देशने उसका आश्चर्यजनक ढंगसे पालन किया है।

(ग) इस समितिकी राय है कि कांग्रेसके असहयोगसे सम्बद्ध प्रस्तावमें तो सविनय अवज्ञाका स्पष्ट रूपसे उल्लेख है ही नहीं, इसके अलावा भी देश अभी इतना अनुशासित, सुसंगठित तथा तैयार नहीं है कि वह तत्काल सविनय अवज्ञा शुरू कर सके ।

(घ) इसलिए यह समिति तैयारीके रूपमें उन सब लोगोंको, जिनके लिए आदेश जारी किये जायें, सलाह देती है कि वे उनका पालन करें और


  1. १. बेजवाड़ामें हुई इस बैठकमें ये चार प्रस्ताव गांधीजीने रखे थे; अनुमानतः इनका मसविदा भी उन्होंने तैयार किया था ।