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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


के निमित्त गुलाम नहीं बन सकेगा। यह समुद्रके उस पार संसारके अन्य राष्ट्रोंको यह सन्देश भेजता है कि भारत अपने भोजन और वस्त्रके बारेमें पूर्ण रूपसे आत्म- निर्भर एवं स्वतन्त्र बननेके लिए कृतसंकल्प है। यह हमारे उन तीस करोड़ देशवासियोंके पास सद्भावनाका संदेश पहुँचाता है जिन्हें दिनमें एक जून ही नमकके साथ रुखा-सूखा भोजन मिल पाता है। यही वह सूत्र है जो सारे भारतको जोड़ता है और उसको एक राष्ट्रका रूप देता है। इस सूत्रको हटाते — नष्ट करते — ही स्वराज्यकी सारी इमारत ढह जायेगी। याद रखिए जिस दिन भारतने ईस्ट इंडिया कम्पनीके बलके सामने या उसके धनके सामने घुटने टेके, उसी दिन उसने अपनी स्वतन्त्रता खो दी और अपनी राष्ट्रीयताको भी लगभग गँवा दिया। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि आप लोग जो कोकोनाडाके साहसी नागरिक हैं, तबतक चैन न लेंगे जबतक इस बड़े नगरके प्रत्येक घरमें चरखा नहीं चलने लगता । मुझे आशा है कि बालक-बालिकाएँ, स्त्री और पुरुष दिनमें कुछ घंटे चरखा चलानेको अपनी शानके खिलाफ नहीं समझेंगे। जब लोग चरखा चलाने लगेंगे तब मैं और आप लोग यही कहेंगे कि हमने एक छोटा-सा प्राय- श्चित्त किया है। आशा है जब भी मेरा कोई मित्र या आपमें से कोई व्यक्ति मुझे इस नगरमें फिरसे आनेको कहेगा तब वह मुझे यह विश्वास दिलाना न भूलेगा कि यहाँ कोई भी ऐसी लड़की या लड़का, स्त्री या पुरुष नहीं है जो विदेशी वस्त्र पहनता हो और ऐसा तरुण तो है ही नहीं जो खद्दर न पहनता हो। में विश्वास दिलाता हूँ कि यदि सारा भारत जूनके अन्ततक इस बिलकुल मामूली परीक्षामें — इसे मैं बिलकुल ही मामूली परीक्षा कहता हूँ — खरा उतरता है तो आप देखेंगे कि पहली जुलाईतक समस्त भारतमें नये जीवनका संचार हो जायेगा।

शुद्धीकरण सप्ताह जिसे राष्ट्रीय सप्ताह कहा जाता है, सिरपर है। ६ अप्रैल १९१९ को भारतकी नींद टूटी थी। उसी वर्षकी १३ अप्रैलको भारतने एक ऐसा हत्या- काण्ड देखा जैसा आधुनिक युगमें कभी देखा या सुना नहीं गया। यह एक पुनीत सप्ताह है। यदि एक भी भारतीय इसे भूल जाये तो यह अपराध होगा, पाप होगा। मुझे आशा है कि ६ और १३ अप्रैलको पूर्ण हड़ताल होगी। हड़ताल पूरी तरह अपनी मर्जीसे होनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति अपनी दूकान खोलना चाहता है तो प्रत्येक प्रकारकी क्षतिसे हमें उसकी रक्षा करनी होगी। शुद्धीकरण तभी शुद्धीकरण है जब वह स्वयंस्फूर्त हो । स्वतन्त्रता बल प्रयोग से नहीं बल्कि मधुरता, अनुनय तथा विनय से प्राप्त होती है। मैं आशा करता हूँ कि जो लोग समर्थ हैं वे ये दो दिन विशेष रूप से उपवास तथा प्रार्थनामें ही लगायेंगे। याद रखिए कि यह स्वतन्त्रताका युद्ध है। इसमें हमें बारूद नहीं, बल्कि ईश्वरकी सहायताका सहारा लेना होगा। इस सप्ताहकी अवधिमें आप अन्तर्मुख होकर अपने हृदयोंको टटोलेंगे। आप अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगाकर मद्य-पानके अभिशापके विरुद्ध संघर्ष करेंगे ।

शुद्धताका एक अनिवार्य लक्षण यह है कि प्रत्येक पुरुष प्रत्येक स्त्रीको अपनी बहन और माँ समझे और प्रत्येक स्त्री प्रत्येक पुरुषको अपना भाई और पिता समझे । मैं स्वयं एक ऐसे नगरमें पैदा हुआ हूँ जो कि एक बन्दरगाह है और इसलिए जानता