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भाषण : कोकोनाडामें


हूँ कि ऐसे नगरमें बसनेवालोंके सामने क्या-क्या प्रलोभन रहा करते हैं। मुझे कल ही एक मित्रने बताया कि रंगूनमें हमारे लोगोंका जीवन — और मैं जानता हूँ कि बहुत से लोगोंको रंगून जानेकी टेव पड़ गई है — बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। यदि हम राक्षस-राज्य नहीं, बल्कि धर्म-राज्यकी कामना करते हैं तो आप इस बातमें मुझसे सहमत होंगे कि वैयक्तिक शुद्धता उतनी ही आवश्यक है जितनी राष्ट्रीय शुद्धता | हमारा स्वराज्य विलासितामें नहीं बल्कि आत्म-संयममें है। मुझे आशा है कि आप लोग यह सप्ताह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा प्रस्तुत किये गये कार्यक्रमको शीघ्र पूरा उतारने में व्यतीत करेंगे। मुझे आशा है इस सप्ताह में आप हिन्दू-मुस्लिम एकताको दृढ़ करनेके लिए और भी अधिक प्रयत्न करेंगे। और मुझे इस बातकी भी आशा है कि इस सप्ताह में आप अपने तथा दूसरोंके दिलोंमें यह बात पक्की तौरपर अंकित कर लेंगे कि भारतकी स्वतन्त्रता अहिंसापर ही निर्भर है। आप यह बात भी हृदयंगम कर लें कि हमारे समान विचार न रखनेवाले अपने किसी भी देशवासीके विरुद्ध कहा गया एक भी रोषभरा शब्द, किसी अंग्रेजके विरुद्ध कहा गया प्रत्येक शब्द तथा ऐसे व्यक्तिके ऊपर उठाई गई लाठी जिसने हमें [ निश्चय ही ] हानि पहुँचाई है, हिंसा है और कांग्रेस द्वारा हमारे लिए निर्धारित अनुशासनके विरुद्ध है। जबतक हम अपने छोटेसे-छोटे देशवासी तथा अदनासे-अदना विदेशियोंके दिलोंसे, जो हमारे बीच रहते हों, हिंसाका भय दूर नहीं कर सकते तबतक हम जनतन्त्रीय शासन व्यवस्थाके पात्र कहलानेका हक नहीं रख सकते। और यदि हम एक भी मनुष्यको अछूत समझते हैं, या भारत में किसी भी व्यक्तिके बारेमें वह कोढ़ी या परिया[१] क्यों न हो, यह कहते हैं कि उसका स्पर्श अपवित्र करनेवाला है तथा उसकी छायासे वैष्णवों तथा शवोंकी पवित्रता नष्ट हो जाती है, तो हम असुरोंकी तरह अहिंसा व्रतका भंग करनेवाले बनते हैं। 'भगवद्गीता' का उपदेश सूर्यके प्रकाशके समान बिलकुल स्पष्ट है। वह हमें आदेश देती है कि ब्राह्मण तथा चाण्डालके साथ एक ही प्रकारके प्रेम और भाईचारेकी भावना- के साथ व्यवहार करो। यदि कोई ब्राह्मण किसी भी व्यक्तिको अपनेसे छोटा समझता है तो वह अपने ब्राह्मणत्व से च्युत हो जाता है। मानवीय उदात्त भावनाने ईश्वरके लिए जिस मधुरतम नामकी उद्भावना की है वह है — दासानुदास, दासोंका भी दास ।

अब समय आ गया है जब कि भारतको अस्पृश्यतासे छुटकारा पा जाना चाहिए। अब मैं दो शब्द विशेष रूपसे यहाँपर आई हुई प्रिय बहनोंसे कहूँगा । जहाँ-जहाँ भी मैं गया भारतीय महिलाओंने मेरे साथ प्रेमका व्यवहार किया। और जहां-जहाँ मैं गया मैंने आप बहनोंसे अपने तथा भाई मौलाना शौकत अलीके लिए आशीर्वादकी याचना की है। हमें अन्य बहनोंने जैसा आशीर्वाद दिया है मैं आपसे भी वही माँग रहा हूँ। और क्या आप जानती हैं कि हम ये आशीर्वाद किसलिए मांगते हैं ? हम आजादी और भारतीय धर्मोकी खातिर संघर्ष छेड़े हुए हैं। हम रावण-राज्यको राम- राज्य में बदलने का प्रयत्न कर रहे हैं। और आप जानती हैं, उस अशोक वाटिकामें सीता देवीने रावणके भेजे हुए बढ़िया-बढ़िया आभूषणों और चटपटे तथा स्वादिष्ट भोजन


  1. १. दक्षिण भारतकी एक अछूत जाति ।