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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


जितनी कि जीवनके लिए साँस। मैं और मौलाना शौकत अली भारतके सामने यह रखते आये हैं कि हिन्दू-मुस्लिम एकतासे हमारा क्या अभिप्राय है । हम दोनों ही अपने-अपने धर्ममें अविचल श्रद्धा रखनेवाले व्यक्ति हैं, वे अपने इस्लाम धर्ममें और मैं सनातन हिन्दू- धर्ममें। जिस प्रकार हिन्दू मुस्लिम ऐक्य राष्ट्रको आजाद करने, स्वराज्य प्राप्त करने, खिलाफत और पंजाबके प्रति किये गये अन्यायोंको दूर करानेके लिए आवश्यक है, उसी प्रकार अहिंसा और परस्पर प्रेम बनाये रखनेके लिए भी आवश्यक है। अहिंसाका अर्थ है क्रोध और आवेशपर नियन्त्रण रखना, तथा मस्तिष्क एवं हृदयको ईर्ष्याकी अधम भावनाओंसे मुक्त रखना; इसलिए मैंने इस आन्दोलनको आत्मशुद्धि एवं आत्मसंयमका आन्दोलन कहा है।

इसलिए देशमें पियक्कड़ोंके विरुद्ध जो निष्कलुष आन्दोलन स्वयंस्फूर्त रूपसे चल रहा है उसने मुझे अभूतपूर्व आनन्दसे भर दिया है।

महिलाओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा :

प्रिय बहनो, मैं आपको सचेत करते हुए यह निवेदन करना चाहता हूँ कि आप अपने कर्त्तव्य और धर्मको पहचानें। यदि आपके बीचमें कोई नर्तकी हो तो उससे लज्जास्पद जीवन बिताना छोड़ देनेको कहें।[१] वह चरखा अपनाए और चरखा चलाकर जो चन्द पैसे उसे मिलें वह उन्हींको स्वीकार करे । चरखा उसके घरमें धन और ईश्वर दोनोंको लायेगा । क्या आप समझती हैं कि यदि राम और सीताको यह मालूम हो जाता कि पेट भरनेके लिए उनके राज्यमें एक भी स्त्रीको पुरुषोंकी विषयवासना तृप्त करनी और अपनी इज्जत बेचनी पड़ती है तो क्या वे क्षण-भरको भी चैनसे बैठते ? मैं आप लोगोंसे कहता हूँ कि और किसी कामके लिए नहीं तो केवल इन नर्तकियोंकी रक्षाके लिए ही आप अपने सभी महीन वस्त्र और गहने त्याग दें।

यदि आप भारतकी खातिर चरखा नहीं अपनातीं तो इन्हींके लिए अपनाएँ । भारतकी शुद्धताके निमित्त आप चरखा चलायें । आप उसी साड़ीको पहनें जो आपको चरखेसे उपलब्ध हो सकती है। चरखेके सूतसे तैयार की गई पवित्र भारतीय साड़ी भारतके स्त्री-पुरुषोंमें नैतिक गुणोंकी रक्षा करनेवाली बने । मेरा निवेदन है कि आप लोग महीन विदेशी साड़ियाँ पहनना पाप समझें ।

अपना भाषण जारी रखते हुए उन्होंने कहा :

इसके साथ ही आप अपने समाजमें पैठे हुए अस्पृश्यताके अभिशापको भी दूर करें । मेरी आवाज आन्ध्र देशके नेताओंतक पहुँचाएँ। एक स्वतन्त्र राष्ट्रको अधःपतनकी ओर न ले जायें। मैं विश्वास करता हूँ कि आप निष्ठावान स्त्री-पुरुष हैं। मेरा विश्वास है कि आपमें भारतके लिए सभी प्रकारकी कुर्बानी करनेका सामर्थ्य है । और आप सभी सेवा करनेकी आकांक्षा रखते हैं। मैं आपमें से प्रत्येकसे कहता हूँ कि आप अपने हृदयको टटोलें और इस आन्दोलनके महत्वको पूरी तरह समझें और उसके मर्मको पहचानें; फिर भी आत्मश्लाघामें न पड़ें। इस संघर्षको सफल बनाने के लिए ओजस्वी व्याख्यानोंकी


  1. १. इसके एक दिन पहले शामको नर्तकियोंका एक दल कोकोनाडामें गांधीजीसे मिला था । उन्होंने बताया कि नर्तकिया कैसा शर्मनाक जीवन बिताती हैं ।