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विकट परीक्षक


दिलानेकी कोशिश करूंगा कि पंजीयनका कोई उपयोग नहीं होता और यदि इसमें असफल रहा तो स्वयं उस संस्था अथवा बैंकसे अलग हो जाऊँगा, और लोगोंको समझाऊँगा कि उन्हें ऐसी संस्थाओं अथवा बैंकोंका बहिष्कार करना चाहिए। मैं जानता हूँ कि कमसे-कम एक संस्था है जिसने अपना पंजीयन रद करा लिया है; और सभी जानते हैं कि भारतमें हजारों ऐसे बैंक हैं, जो पंजीयित नहीं हैं फिर भी धूमधामसे चल रहे हैं और जिनकी ईमानदारी और व्यापारिक क्षमता आज भी आश्चर्यजनक है।

[ अंग्रेजीसे ]

यंग इंडिया, ६-४-१९२१


२७१. विकट परीक्षक

क्या ही अच्छा होता कि मैं अपने आपको असहयोगके विश्वविद्यालयका एम० ए० मान पाता। किन्तु मेरे परीक्षकोंका विचार है कि मैंने उक्त विश्वविद्यालयकी पहली परीक्षा तो पास कर ली है, तथापि मुझे अभी कई पाठ्यक्रम पूरे करने हैं। मुझे पत्र लिखनेवालों में सबसे ज्यादा बालकी खाल निकालने और झुंझलाहट तक पैदा कर देनेवाले सवाल मेरे सिन्धी मित्र करते हैं। 'यंग इंडिया' के पाठकोंके सामने मैं इन परीक्षा-पत्रोंकी एक बानगी प्रस्तुत कर रहा हूँ। निम्नलिखित परीक्षा-पत्र मुझे सिन्धसे प्राप्त हुआ है ।

(१) क्या आपका यह खयाल नहीं है कि आपके असहयोग आन्दोलनसे हिंसाका प्रादुर्भाव होगा ?

यदि मेरा ऐसा खयाल होता तो मैं उसे देशके सामने कदापि न रखता ।

(२) अहिंसाके सिद्धान्तको पूरी तरह समझाइए ।

व्यक्ति अथवा सम्पत्तिको जानबूझकर आघात न पहुँचाना ही अहिंसा है। उदाहरणार्थ, मैं जनरल डायरतक को उनके कत्लेआमके लिए न तो दंड दूंगा न दिला- ऊँगा, किन्तु उन्हें पेन्शन देनेसे इनकार करनेको अथवा उनके कार्यकी उपयुक्त शब्दोंमें निन्दा करनेको मैं उन्हें स्वेच्छापूर्वक आघात पहुँचाना नहीं मानूंगा। हत्यारेकी रक्षा करना, फिर चाहे वह मेरा पुत्र अथवा पिता ही क्यों न हो, मेरा कर्त्तव्य नहीं है । मैं अपना यह कर्त्तव्य मानता हूँ कि मैं उसका समर्थन करना बन्द कर दूं। मैं साँपको मारूंगा नहीं, किन्तु मुझे उसे आश्रय भी नहीं देना चाहिए ।

(३) यदि आपके आन्दोलनसे हिंसा फैली तो क्या आप निवृत्त होकर पहाड़ोंमें जा बसेंगे ?

यदि असहयोगके फलस्वरूप हिंसा हुई, अथवा यदि असहयोगियोंने हिंसाका आश्रय लिया, अर्थात् यदि भारतवर्षने हिंसाका सिद्धान्त अपना लिया और तबतक मैं जीवित रहा तो मैं भारतमें रहना पसन्द नहीं करूंगा। तब भारतवासी होना मेरे लिए कोई गर्वकी बात नहीं होगी। मेरी देशभक्ति मेरी धर्म-भावनाके अधीन है। बच्चा जैसे