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२७२. भाषण : चिरलामें

६ अप्रैल, १९२१

गांधीजीने कहा कि आन्ध्र प्रदेशके दौरेमें लोगोंने सभी जगह मुझपर जो अपार स्नेह बरसाया है उससे मैं आनन्दविभोर हो उठा हूँ। मैं आफ्रिकामें अनेक बार जेल गया और जब-जब मुझे रिहा किया गया, मुझे दुःख हुआ । जिन्हें जेल जानेका सौभाग्य प्राप्त होता है, मुझे उन लोगोंसे ईर्ष्या होती है; क्योंकि मुझे ऐसी शासन-व्यवस्थाके अन्तर्गत, जिसने मनुष्यकी आत्मा और मर्दानगीका हनन कर डाला हो और उसे सामान्य अधिकारोंसे भी वंचित कर रखा हो, रहनेकी अपेक्षा जेलकी चारदीवारीके भीतर अधिक स्वतन्त्रताका अनुभव होता है। मेरी समझमें जो लोग जेल गये हैं वे प्रशंसाके अधि- कारी हैं। मैं चिरलाकी महिलाओंको, अपनेमें से जेल जाने के लिए कमसे-कम एक महिला[१] प्रस्तुत कर सकनेके लिए बधाई देता हूँ। मैं आप लोगोंको संघर्षमें अहिंसाको भावनाको बनाये रखनेके लिए बधाई देता हूँ। मुकदमेके कागजात पढ़नेसे — मैंने उसकी एक-एक पंक्ति पढ़ी है — में इस नतीजेपर पहुँचा हूँ कि यह एक अच्छा मुक- दमा है। मेरी रायमें सर्वसम्मति से लोगोंके विरोध में होनेपर भी सरकारने आप लोगों- पर म्युनिसिपैलिटी थोपकर बड़ी जबर्दस्त भूल की है। किन्तु यह तो आप अपनी कठि- नाइयोंका प्रारम्भ ही समझें । सम्मानित पुरुष तथा महिलाएँ होनेके नाते आप लोगोंके समक्ष केवल दो ही रास्ते हैं: एक तो सविनय अवज्ञात्मक असहयोग करना या मुसल- मानोंके शब्दोंमें "हिजरत" अर्थात् तुलसीदासजीके शब्दोंमें "देशत्याग" करना। मेरी रायमें दोनों ही शस्त्र एक समान शक्तिशाली और कारगर हैं। आप लोग कांग्रेसके समर्थनपर निर्भर न रहें बल्कि स्वयं अपने मजबूत बाजुओंके बलपर यानी तपश्चर्याके द्वारा ही संघर्ष करें। वहाँके विश्वसनीय नेता श्री दुग्गीराला गोपालाकृष्णय्याकी[२] खासी प्रशंसा करने के बाद उन्होंने लोगोंसे कहा कि वे अहिंसाके अनुपम सौन्दर्यको समझनेकी कोशिश करें। चरखेको भारतका जीवन-दाता बताते हुए उन्होंने कहा :

चिरलाके स्त्री-पुरुष क्या करते हैं इसे मैं श्रद्धा के साथ देखता रहूँगा। भारतके इतिहास में आप एक नवीन युगके द्वारपर खड़े हैं। समस्त भारत आपकी ओर निहार रहा है। यदि आप अपने वचनको पूरा नहीं करते या एक भी बड़ी गलती करते हैं तो लज्जाकी बात होगी। आप अहिंसाका पालन करें और परमात्माको साक्षी करके समस्त संसारको चुनौती दें। परमात्मा चिरलाके पुरुषों और स्त्रियोंका कल्याण करे।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, ९-४-१९२१


  1. १. सरकार द्वारा जनतापर थोपी गई नगरपालिकाको मान्यता देने से इनकार करनेपर एक महिला तथा चिरलाके ११ अन्य देशभक्तोंको कारावासका दण्ड दिया गया था ।
  2. २. रामनगर आश्रमके संस्थापक |