पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 19.pdf/५७३

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२७३. भाषण : नेलौरके तिलक विद्यालयमें[१]

७ अप्रैल, १९२१

तिलक विद्यालयके उद्घाटनके अवसरपर गांधीजीने उस संस्थाके न्यासियोंसे आग्रह किया कि आप लोग अपना ध्यान तथा शक्ति एक ही महत्वपूर्ण बात अर्थात् स्वराज्य- की प्राप्तिपर केन्द्रीभूत करें; सूत कातना तथा कपड़ा बुनना कांग्रेस प्रस्तावके अत्यन्त महत्वपूर्ण अंग हैं। मैं नहीं चाहता कि न्यासी-गण इस संस्थाके लिए अलगसे चन्दा इकट्ठा करें क्योंकि इससे हाल ही में शुरू किये गये परमावश्यक तिलक स्वराज्य कोष- पर असर पड़ेगा। इसमें एक करोड़ रुपये एकत्रित होना आवश्यक है। चंदा केवल एक ही कामके लिए माँगा जाना चाहिए। न्यासियोंको चाहिए कि वे किसी भी योज- नाको शुरू करने से पहले प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके प्रधानसे परार्मश कर लें। स्वराज्य बाहुबलसे ही प्राप्त नहीं होता। वह तो अनुशासित विचार और अनुशासित कार्यके द्वारा प्राप्त होता है। मैं न्यासियोंको देशके सामने बड़ी-बड़ी शिक्षा योजनाएँ रखनेके खतरेके विरुद्ध चेतावनी देता हूँ । देशके सम्मुख केवल एक ही शिक्षा योजना है और वह है स्वराज्य प्राप्त करना । मैं इस नवीन संस्थाकी उन्नति और समृद्धि चाहता हूँ |

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १२-४-१९२१

२७४. भाषण : नेलौरकी सार्वजनिक सभामें[२]

७ अप्रैल, १९२१

प्यारे हिन्दू और मुसलमान भाइयो,

मैं खड़े होकर बोलनेमें असमर्थ हूँ इसके लिए आप मुझे क्षमा करें। मुझे आपसे इस कारण भी क्षमा माँगनी है कि मैं समयपर उपस्थित नहीं हो पाता हूँ, लेकिन इसके लिए मैं अपनेको दोषी नहीं मानता। बहनोंकी सभामें[३] जितना समय देनेकी मैं आशा कर रहा था, वहाँ उससे कहीं अधिक समय लग गया। मेरे लिए यह बिलकुल सम्भव था कि मैं शामका भोजन त्यागकर महिलाओंकी सभासे सीधा

१९-३५


  1. १. तिलक जातीय विद्यालयके उद्घाटनके समय दिया गया भाषण । इस राष्ट्रीय स्कूलकी स्थापना वी० वी० एस० गारूने की थी। श्री गारूने कांग्रेसके आदेशपर वकालत छोड़ दी थी। इस अवसरपर विद्यालयके विद्यार्थियों द्वारा एक रात पहले हाथके कते सूतसे बुने हुए दो थान गांधीजीको भेंट किये गये।
  2. २. नेलौर नगरपालिका द्वारा दिये गये अभिनन्दन पत्रके उत्तरमें ।
  3. ३. गांधीजी इस सभामें आनेसे पहले स्त्रियोंको एक सभामें गये थे। यह सभा नेलौरके टाऊन हॉलमें की गई थी ।