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भाषण: बनारसकी सार्वजनिक सभामें

खयाल करें। मैं बार-बार कहता हूँ कि जरा भी अन्देशा हो तो मालवीयजीकी ही बात मानें। उन्होंने यह विश्वविद्यालय बनाने में अपनी उम्र खपा दी है। पर जैसे सामनेकी वस्तु साफ दीखती है, वैसे ही अन्तरात्मामें आपको यह स्पष्ट प्रतीति हो कि यहाँ रहना पाप है तो आप विद्यालय छोड़ दें। ‘प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्’ हमारा शास्त्र-वचन है। आप सोलह वर्ष से ऊपरके हो गये, इसलिए जो मैंने आज आपसे कहा है वह कहनेका मुझे अधिकार है। यही तालीम मैंने अपने पुत्रोंको दी है और मैंने उनका कुछ नहीं बिगाड़ा । अन्त में आपसे कहता हूँ कि काशी विश्वनाथ आपको निष्कलुष बनाये, धैर्य दें, तपश्चर्या दें और वह सभी कुछ दें जिसकी आपको आवश्यकता है।

[गुजराती से]

नवजीवन, ५-१२-१९२०


२३. भाषण: बनारसको सार्वजनिक सभामें[१]

२६ नवम्बर, १९२०

मैं अशक्त होने के कारण खड़ा होकर नहीं बोल सकता, इसलिए आप लोग क्षमा करें। कुछ दिन हुए, मौलाना अबुल कलाम आजाद[२] और हम यहाँ आये थे। उस समय हमने आपसे कुछ कहा था। उसी कामके लिए हम आज फिर आये हैं। हम इस वक्त खासतोरसे विद्यार्थियोंसे कुछ कहना चाहते थे पर आप लोगोंकी मुहब्बत इतनी अधिक थी कि यहाँ आना ही पड़ा। आप लोगोंसे हमें यह कहना है कि हमारी सल्तनत राक्षसी सल्तनत है। हमारा फर्ज है कि या तो उसे दुरुस्त करें या मिटा दें। हमारी हालत बड़ी खराब है। आजतक हम लोगोंने सिर्फ बातोंसे काम लिया है। अब हरएक स्त्री-पुरुषका फर्ज है कि वह काम करे। आप लोग क्या कर सकते हैं? अगर आप लोग इस सल्तनतको राक्षसी सल्तनत नहीं समझते तो हम उसका कोई सबूत नहीं देंगे। हम इसे बहुत बुरी मानते हैं और इसे मिटा डालना या सुधारना जरूरी समझते हैं। अगर इसने पश्चात्ताप नहीं किया, अगर पंजाबके प्रति न्याय और खिलाफतके प्रति इन्साफ नहीं किया तो इसका साथ नहीं दिया जा सकता। इसको हम लोग दुरुस्त कैसे कर सकते हैं? हमारी कांग्रेस, मुस्लिम लीग, सिख लीग सबने इसको दुरुस्त करनेका तरीका बतला दिया है। यह तरीका असहयोगका या बाअमन तर्के-मवालातका है; अर्थात् न सरकारसे मदद लें, न सरकारको मदद दें। इसके साथ असहयोग किस

  1. यह सभा बाबू भगवानदासकी अध्यक्षतामें टाउन हॉलके मैदान में हुई थी। उपस्थित लोगोंमें पं० मोतीलाल नेहरू, पं० जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद और देशबन्धु चित्तरंजन दास भी थे।
  2. १८८९-१९५८; कांग्रेसी नेता तथा कुरानके प्रसिद्ध व्याख्याकार; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार निर्वाचित अध्यक्ष; भारत सरकारके शिक्षा-मन्त्री।