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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तरह करें? पहले हम खिताबोंको छोड़ दें। हमारे लिए खिताब हराम हैं। फिर हमें अदालतें छोड़नी चाहिए। इन्साफ करना हमारे ही हाथमें रहना चाहिए। ये अदालतें सरकारकी जड़ मजबूत करती हैं। वकीलोंको वकालत छोड़ देना चाहिए। अगर उनसे हो सके तो वकालत छोड़ने के बाद देशकी सेवा करें। अगर सेवा न हो सके तो वकालत छोड़ना ही काफी सेवा है। उनको दूसरा धन्धा करना चाहिए। माँ-बापको चाहिए कि मदरसों और विश्वविद्यालयोंसे अपने सब लड़कोंको हटा लें। जो लड़के १६ वर्षके हो गये हों उनको वे मित्रकी तरह सलाह देकर हटा लें। उनसे कहना चाहिए कि तुम वहाँ न पढ़ो; तुम्हें ऐसी जगह तालीम लेनी चाहिए जहाँ तुम आजाद रह सको। जहां सरकारका झंडा हो, वहाँ तालीम नहीं लेनी चाहिए।

कांग्रेसने यह भी कहा है कि कौंसिलोंमें नहीं जाना चाहिए। ३० तारीखको कौंसिलोंका चुनाव है। यह इम्तहानका दिन है। पहले हमें उम्मीदवारोंसे कहना चाहिए कि बैठ जाइए। अगर वे न मानें तो वोटरका फर्ज है कि वह उस रोज घरमें बैठा रहे और वोट न दे। २९की राततक उम्मीदवारोंको समझाना चाहिए। पैर छू-छू कर उनसे कहता चाहिए कि आप कौंसिलके लिए खड़े न हों। अगर वे आपकी बातें न मानें और कौंसिल में जाना चाहें तो आपका फर्ज है कि उन्हें कोई मदद न दें और उनसे काम न लें। फिर, सिपाहीगिरी करना हराम है। आप लोग भर्तीके सिपाही न हों; आप लोगोंको हिन्दुस्तानकी आजादीका सिपाही होना चाहिए।

दूसरा मसला स्वदेशीका है। जो कपड़ा यहाँ तैयार हो उसीको इस्तेमाल करना चाहिए। हमारी माताओंको अपने घरोंमें चरखा दाखिल करना चाहिए। जुलाहोंसे बुनवाकर कपड़े पहनना चाहिए। मैं हिन्दुस्तानके सभी भाइयों और बहनोंसे कहता हूँ कि स्वदेशी तुम्हारा फर्ज है। खद्दर पहनो; यही करना तर्के-मवालात है। तलवार मत खींचो। उसको मियान में रखो। तलवारसे हमारा ही गला कटेगा। हिन्दू और मुसलमानोंमें जुबानी नहीं, दिली एकता होनी चाहिए। अगर ऐसा हो तो हम एक साल में स्वराज्यकी स्थापना कर सकते हैं। खिलाफतके मसलेको और पंजाबके मसलेको तय करना आपके हाथमें है। आप इतने लोग यहाँ जमा हैं, मैं अदबसे पूछता हूँ कि आपने क्या किया। क्या आपने अपने लड़कोंको स्कूल-कालेजोंसे हटा लिया? अगर आपका लड़का बड़ा है तो आपने उसे उसका धर्म बता दिया? इस काममें उसे आपने आशीर्वाद दे दिया? अगर आपने ऐसा नहीं किया है तो आप यहाँ क्यों जमा हुए हैं। लड़कोंको चाहिए कि मदरसोंसे हट जायें, बड़ोंको समझायें। क्या आपने निश्चय कर लिया है कि वोट न देंगे? क्या आपने स्वदेशीका व्रत लिया है? सबके साथ इन बातोंका सम्बन्ध है। सरकारकी फौजमें भरती बन्द होनी चाहिए। “हमको अपने मुकदमे लेकर इन्साफके लिए अपने बुजुर्गोंके पास जाना चाहिए। इससे सरकारकी “प्रैस्टीज” (इज्जत-रुतबा) जाती रहेगी। उसी समय सरकारको पता लग जायेगा कि अब उसके एक लाख गोरे ३० करोड़पर हुकूमत नहीं कर सकते। अभीतक हमें आपस में लड़ा-लड़ा कर, हमें फुसला कर, मदद देकर, मदद लेकर सरकार राज्य कर रही है। “यथा राजा तथा प्रजा” की पुरानी कहावत है। इससे ज्यादा सत्य