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डा० मुहम्मद इकवालको

“यथा प्रजा तथा राजा” है। अगर हम साफ दिलसे काम करेंगे, और पवित्र भावसे ईश्वरके चरणोंमें अपनेको अर्पित करेंगे, अगर इस प्रकारका सच्चा बलिदान देंगे तो हमें स्वराज्य फौरन मिल जायेगा। यही स्वराज्य रामराज्य है।

आज, २७-११-१९२०

२४. पत्र: डा० मुहम्मद इकबालको

[२७ नवम्बर, १९२० के पूर्व][१]

प्रिय डा० इकबाल[२]

मुस्लिम नेशनल युनीवर्सिटी[३] आपको पुकार रही है। यदि आप उसका उत्तर-दायित्व ले लें, तो मुझे विश्वास है कि वह आपके सुसंस्कृत नेतृत्वमें उन्नति करेगी। हकीम अजमलखां [४] और डा० अन्सारी[५] तथा निस्सन्देह अलीभाई भी यही चाहते हैं। मेरी कामना है कि आप इस आमन्त्रणको स्वीकार कर सकेंगे। आपकी आवश्यकताओंकी पूर्ति के लिए नवीन जागृतिके अनुरूप, उपयुक्त दक्षिणा देनेका आश्वासन आसानीसे दिया जा सकता है। कृपया अपना जवाब मुझे ‘मार्फत पंडित नेहरू, इलाहाबाद’ के[६] पतेपर भेजिए।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी पत्र (एस० एन० ७३६१ ए) की फोटो-नकलसे।

 
  1. डा० इकबालने २९ नवम्बर, १९२० के अपने जवाब (एस० एन० ७३३०) में लिखा था कि गांधीजीका पत्र दो दिन पूर्व मिला था।
  2. १८७३-१९३८; प्रख्यात उर्दू-फारसीके कवि; कैम्ब्रिज तथा म्यूनिख विश्वविद्यालयोंसे पी० एच० डी० किया; राष्ट्रीय नेता; १९३१-३२ में दूसरी और तीसरी गोलमेज परिषद्के प्रतिनिधि।
  3. अलीगढ़ में।
  4. १८६५-१९२७; प्रसिद्ध हकीम और राजनीतिज्ञ जिन्होंने खिलाफत आन्दोलनमें प्रमुख भाग लिया; १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अध्यक्ष।
  5. डा० मुख्तार अहमद अन्सारी (१८८०-१९३६); राष्ट्रवादी मुसलमान नेता; इंडियन मुस्लिम लीगके अध्यक्ष, १९२०; अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, १९२७-२८।
  6. गांधीजी २८ नवम्बर, १९२० को इलाहाबाद पहुँचे थे और वहाँ चार दिन ठहरे थे।